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Providing information on website under RTI Act: Rajya Sabha Q&A

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF  PERSONNEL,PUBLIC GRIEVANCES AND PENSIONS
RAJYA SABHA
UNSTARRED QUESTION NO-2100

ANSWERED ON-30.08.2012

Providing information on website under RTI Act

2100 . SHRIMATI MAYA SINGH
(a) whether it is a fact that the Public Authorities have to provide information regarding 17 matters on their websites under the Section 4 of Right to Information Act, 2005;
(b) if so, whether majority of departments have not done so due to which people are not able to get information; and
(c) the steps taken by the Ministry in this regard to make departments to provide the information on their respective websites as per the provision of the Act so that willing people could get information easily?

ANSWER
Minister of State in the Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions and Minister of State in the Prime Minister’s Office. (SHRI V. NARAYANASAMY)
(a): The Act casts obligation on every Public Authority to take steps to provide information regarding 17 items through various means of communications, including internet so that public have minimum resort to the use of the Act to obtain information.
(b): As per provisions of the Section 25(5) of the RTI Act, 2005 if it appears to Central Information Commission that the practice of a public authority in relation to the exercise of its functioning under the Act does not conform with the provisions or spirit of the RTI Act, which would also include compliance with the provisions of Section (4), it may recommend steps which ought to be taken by that authority for promoting such a conformity.
(c): The Government vide office Memorandums No. 1/18/2007-IR dated 21st September, 2007 and 12/192/2009-IR dated 20th June, 2010 and through various means, including training of stakeholders, publishing and distribution of guides, have been impressing upon the public authorities to disclose maximum information proactively so that citizens need not resort to filing of RTI applications to access information available with the public authorities. The Government had also set up a Task Force in May, 2011 to review the provision regarding suo-motu disclosure and to recommend measures for its better implementation and enforcement. The Task Force has recommended guidelines for better implementation of suo-motu disclosure.
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भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
(कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) 
* * *
राज्य सभा
अतारांकित प्रश्ना संख्याथ: 2100

(दिनांक 30.08.2012 को उत्ततर के लिए)

सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत वेबसाईट पर सूचना उपलब्ध कराना

2100. श्रीमती माया सिंह :
क्या प्रधान मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(क) क्या यह सच है कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 के तहत सार्वजनिक प्राधिकरणों को 17 मामलों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर डालने का प्रावधान है;

(ख) यदि हां, तो क्या बहुतायत विभागों ने ऐसा नहीं किया है जिससे लोगों को जानकारी नहीं मिल पा रही है; और
(ग) इस संबंध में मंत्रालय ने क्या कदम उठाये हैं जिससे अधिनियम के अनुरूप विभागों द्वारा सूचनाएं अपनी-अपनी वेबसाइट पर डाल दी जाएं ताकि सूचना प्राप्तय करने के इच्छुकक लोगों को सूचनाएं आसानी से मिल सकें ?

उत्तर

कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय में राज्य  मंत्री तथा प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्यम मंत्री (श्री वे. नारायणसामी)

(क) : प्रत्येक लोक प्राधिकारी इस अधिनियम के अंतर्गत इन्टतरनेट सहित संचार के विभिन्न् माध्यमों द्वारा 17 मदों  के संबंध में सूचना प्रदान करने के लिए उपाय करने हेतु बाध्य है ताकि जानकारी प्राप्तध करने के लिए जनता को इस अधिनियम का कम से कम प्रयोग करना पड़े ।

(ख)  सूचना का अधि‍कार अधिनियम, 2005 की धारा 25(5) के उपबंधों के अनुसार, यदि केन्द्री य सूचना आयोग को ऐसा लगे कि लोक प्राधिकारी का कार्य करने का तौर-तरीका सूचना का अधिकार अधिनियम के उपबंधों या उसकी भावना के अनुरूप नहीं है, जिसमें धारा (4) के उपबंधों का अनुपालन भी शामिल है तो ऐसा अनुपालन करवाने के लिए जो अधिनियम के अनुरूप हो, वह ऐेसे उपायों की अनुशंसा कर सकता है जो उस प्राधिकारी द्वारा किए जाने   चाहिएं ।

(ग) : सरकापर दिनांक 21 सितम्बहर, 2007 के कार्यालय ज्ञापन सं. 1/18/2007 आईआर एवं दिनांक 20 जून, 2012 के का.ज्ञा.सं. 12/192/2009-आईआर एवं विभिन्नं माध्य8मों के द्वारा जैसे पणधारियों को प्रशिक्षण, दिशा-निर्देशिकाओं के प्रकाशन एवं उनके वितरण सहित लोक प्राधिकारियों पर अति सक्रिय रूप से अधिकतम जानकारी प्रकटन के लिए जोर दे रही है ताकि नागरिकों को लोक प्राधिकारियों के पास उपलब्धन जानकारी प्राप्त  करने के लिए आरटीआई आवेदन करने की आवश्योकता न रहे । सरकार ने स्वात: प्रकटन एवं इसके बेहतर कार्यान्वियन एवं प्रवर्तन के संबंध में उपबंधों की समीक्षा करने के लिए मई 2011 में एक टास्कन फोर्स का भी गठन किया था । टास्कव फोर्स् ने स्वरत: प्रकटन के बेहतर कार्यान्वसयन के लिए दिशा-निर्देशों की अनुशंसा की है ।

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