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Implementation of recommendations of Committee set up for restructuring of Railways

Implementation of recommendations of Committee set up for restructuring of Railways: Rajya Sabha Q&A

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF RAILWAYS
RAJYA SABHA

QUESTION NO 49

ANSWERED ON 24.07.2015

Implementation of recommendations of Committee set up for restructuring of Railways

49 Shri D. Kupendra Reddy

Will the Minister of RAILWAYS be pleased to satate :-

(a) whether a Committee was set up for restructuring of Railways, and it so, whether the Committee has submitted its final report recently;

(b) if so, the details thereof along with the details of recommendations made by the Committee;

(c) the steps taken/being taken by Government for implementation of the recommendations;

(d) by when these recommendations will be implemented; and

(e) if not, the reasons therefor?

ANSWER

MINISTER OF RAILWAYS
(SHRI SURESH PRABHAKAR PRABHU)

(a) to (e): A Statement is laid on the Table of the House.

*****

STATEMENT REFERRED TO IN REPLY TO PARTS (a) TO (e) OF STARRED QUESTION NO. 49 BY SHRI D. KUPENDRA REDDY ANSWERED IN RAJYA SABHA ON 24.07.2015 REGARDING IMPLEMENTATION OF RECOMMENDATIONS OF COMMITTEE SET UP FOR RESTRUCTURING OF RAILWAYS.
(a) & (b): Yes, Sir. A committee, headed by Dr. Bibek Debroy, which was set up in September, 2014 for inter-alia, restructuring of Railways submitted its final Report in June, 2015. The report contains various recommendations on reforms and restructuring including:-

Changes in Human Resources

  • Railway Board to function like Corporate Board for IR.
  • Reorganise Group ‘A’ services into two streams – Logistics and Technical.
  • Empowerment of GMs & decentralization of powers to DRMs.
  • Separation of off-line activities such as Medical, Schools & Security.
  • Zonal Construction Organisations to be brought under one or more PSUs.
  • Lateral inflow of talent from outside in technical and non-technical departments.
  • Manning of A-1 and A category stations with ex-cadre gazetted officers.
  • Railway Board Secretariat Services and Railway Board Clerical Services to be discontinued.

Commercial Accounting

  • Establish a responsive and transparent Accounting and Costing system.

Independent Regulator

  • Set-up a Railway Regulatory Authority of India (RRAI) independent of MOR with powers and objective of Economic Regulation including tariff regulation, safety regulation, fair access regulation, service standard regulation, licensing/enhancing competition and setting technical standards.

Others

  • Discontinue in phases, separate Rail Budget.
  • Subsidies to be borne by Union Government and passenger concessions by respective Ministries.

Time lines

  • Transition to commercial accounting – in first two years.
  • Setting up of RRAI and HR changes – next three years
  • Merger of Rail Budget, bifurcation of infrastructure and operations and PUs under an SPV viz. Indian Railways Manufacturing Company – beyond five years.
(c) to (e): As the recommendations are far- reaching in scope and entail major changes in organisational structure and systems of working, no timeframe can be indicated for implementation before acceptance of recommendations by Government.
*****

भारत सरकार
रेल मंत्रालय
राज्य सभा



तारांकित प्रश्न सं. 49

24.07.2015 को दिया जाने वाला उत्त र

रेलवे के पुनर्गठन हेतु गठित समिति की सिफारिशों का कार्यान्वयन

*49. श्री डी कुपेन्द्र रेड्डी:
क्या रेल मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क) क्या रेलवे के पुनर्गठन हेतु कोई समिति गठित की गई थी और यदि हां, तो क्या् इस समिति ने हाल में अपना अंतिम प्रतिवेदन प्रस्तु त कर दिया है;


(ख) यदि हां, तो तत्संुबंधी ब्यौ रा क्या है और इस समिति ने क्यार–क्याि सिफारिशें की हैं;


(ग) सरकार द्वारा सिफारिशों को लागू करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं/उठाए जा रहे हैं;


(घ) इन सिफारिशों को कब तक लागू कर दिया जाएगा; और


(ड़) यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?

उत्तर

रेल मंत्री (श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु)

(क) से (ड.): एक विवरण सभा पटल पर रख दिया गया है।
******
रेलवे के पुनर्गठन हेतु गठित समि‍ति की सिफारिशों के कार्यान्वियन के संबंध में दिनांक 24.07.2015 को राज्यो सभा में श्री डी. कुपेंद्र रेड्डी द्वारा पूछे जाने वाले तारांकित प्रश्ना सं.49 के भाग (क) से (ङ) के उत्तर से संबंधित विवरण.
(क) और (ख): जी हां। अन्य बातों के साथ-साथ, रेलवे की पुनर्संरचना के लिए सितंबर 2014 में डा. बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने जून 2015 में अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तु्त कर दी है। इस रिपोर्ट में सुधार एवं पुनर्संरचना संबंधी अनेक सिफारिशें शामिल हैं, जो निम्नानुसार हैं:

मानव संसाधन में परिवर्तन

  • रेलवे बोर्ड का भारतीय रेल के लिए कारपोरेट बोर्ड के समान कार्य करना।
  • ग्रुए ‘ए’ सेवाओं का लॉजिस्टिक और तकनीकी क्षेत्र के दो भागों में पुनर्गठन करना।
  • महाप्रबंधकों को शक्तियां प्रदान करना और मंडल रेल प्रबंधकों की शक्तियों का विकेंद्रीकरण करना।
  • चिकित्सा, विद्यालय एवं सुरक्षा जैसी ऑफलाइन गतिविधियों को अलग करना।
  • क्षेत्रीय निर्माण संगठनों को एक अथवा एक से अधिक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अंतर्गत लाना।
  • तकनीकी और गैर-तकनीकी विभागों में बाहरी प्रतिभा वाले व्य्क्तियों को शामिल करना।
  • ए-1 और ए कोटि के स्टेंशनों पर बाह्य संवर्ग के राजपत्रित अधिकारियों की तैनाती।
  • रेलवे बोर्ड सचिवालय सेवा और रेलवे बोर्ड लिपिकीय सेवा समाप्त् करना।

वाणिज्यिक लेखांकन

  • जवाबदेह और पारदर्शी लेखांकन एवं लागत प्रणाली तैयार करना।

स्वबतंत्र नियामक

  • भारतीय रेलवे नियामक प्राधिकरण (आरआरएआई) की स्थाापना करना, जिसकी शक्तियां और आर्थिक विनियमन संबंधी लक्ष्य( रेल मंत्रालय से अलग हों, जिनमें टैरिफ विनियमन, संरक्षा विनियमन, निष्प्क्ष पहुंच विनियमन, सेवा मानदंड संबंधी विनियमन, लाइसेंसिंग/प्रतिस्प र्धा बढ़ाना और तकनीकी मानदंड स्था पित करना शामिल है।

अन्य।

  • अलग रेल बजट को चरणों में समाप्ति करना।
  • सब्सिडी को केंद्र सरकार और यात्रियों संबंधी छूट को संबंधित मंत्रालयों द्वारा वहन किया जाए।

• समय-सीमा

  • पहले दो वर्षों में वाणिज्यिक लेखांकन का परिवर्तन।
  • अगले तीन वर्षों में आरआरएआई की स्थापना और एचआर में परिवर्तन।
  • पांच वर्षों में रेल बजट का विलयन, अवसंरचना एवं परिचालन और उत्पादन इकाइयों का भारतीय रेल विनिर्माण कंपनी नामक एसपीवी के अंतर्गत विभाजन।


(ग) से (ङ): चूंकि इन सिफारिशों का कार्यक्षेत्र बहुत बड़ा है और इनके लिए संगठनात्मपक संरचना तथा कार्यप्रणाली में बड़े परिवर्तन करने होंगे, इसलिए सरकार द्वारा सिफारिशों को स्वीनकार करने से पूर्व इनके कार्यान्व यन के लिए कोई समय-सीमा नहीं बताई जा सकती है।

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