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सैनिकों के खाने पर सालाना ₹ 1600 करोड़ खर्च, अर्धसैनिक जवान को रोज 95 रुपये राशन भत्‍ता

सैनिकों के खाने पर सालाना ₹ 1600 करोड़ खर्च, अर्धसैनिक जवान को रोज 95 रुपये राशन भत्‍ता
देश में अर्धसैनिक बलों में काम करने वाले एक जवान को प्रतिदिन खाने के लिए केवल 95 रुपये का भत्‍ता मिलता है। यह हाल तो तब है जब नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद एनडीए सरकार ने मई 2014 में डेली राशन अलाउंस को बढ़ाया था। उस समय सरकार ने अर्धसैनिक बलों के जवानों के प्रतिदिन के राशन भत्‍ते में 12 प्रतिशत की वृद्धि की थी। इससे राशन भत्‍ता 85.96 रुपये से बढ़कर 95.52 रुपये हो गया था। द क्विंट ने गृह मंत्रालय से मिले दस्‍तावेजों के आधार पर यह रिपोर्ट दी है। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआरपीएफ, दिल्‍ली पुलिस आती है।

सातवें वेतन आयोग के बाद भी राशन भत्‍ते में बदलाव नहीं किया गया। आयोग की रिपोर्ट में इस बारे में कहा गया कि इस भत्‍ते को लेकर यथास्थिति बनाए रखी जाए। यह भत्‍ता रक्षा और गृह मंत्रालय की ओर से बढ़ाया जाएगा। वेतन आयोग ने राशन भत्‍ते को टैक्‍स के दायरे से बाहर करने की मांग भी ठुकरा दी थी। 
रिपोर्ट के अनुसार साल 2011 में रक्षा मंत्रालय ने चिकन और मटन के राशन की मात्रा 110 ग्राम से 180 ग्राम प्रति व्‍यक्ति कर दी थी। वहीं 12 हजार फीट से ऊपर जैसे कि सियाचीन और का‍रगिल जैसी जगहों पर तैनात जवानों के लिए स्‍पेशल राशन होता है। इसमें ब्रांडेड गेंहू का आटा, रेडी टू ईट सब्जियां और ब्रांडेड नमक शामिल होता है। रक्षा मंत्रालय सैनिेकों के लिए ताजा खाने पर सालाना 1600 करोड़ रुपये खर्च करता है।
अगर अमेरिकी सैनिकों को मिलने वाले राशन भत्‍ते से तुलना की जाए तो भारतीय सेना के जवान काफी पीछे हैं। अमेरिकी जवानों को राशन भत्‍ते के रूप में हर महीने 200 डॉलर से ज्‍यादा मिलते हैं। साथ ही आर्मी पोस्‍ट पर रहने वाले जवानों को सैन्‍य क्‍वार्टर और फ्री खाना मिलता है। गौरतलब है कि पिछले दिनों में बीएसएफ के एक जवान ने घटिया भोजन के आरोप लगाए थे। बीएसएफ के जवान तेजबहादुर यादव ने वीडियो जारी कर खाने की गुणवत्‍ता पर सवाल उठाए थे। जवान की ओर से बताया गया था कि दाल में केवल हल्दी और नमक होता है। वहीं नाश्ते में भी परांठा और चाय मिलती है।

इसके बाद सीमा सुरक्षा बल ने सीमा पर तैनात अपने कर्मियों को दिये जाने वाले भोजन की उच्च गुणवत्ता कायम रखने के लिए 11 जनवरी को ताजा दिशानिर्देश जारी किये जबकि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने जवान के आरोपों पर बल से पूरी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। बयान में कहा गया, ‘जवानों के भोजन से संबंधित मुद्दे, रसद खरीद प्रक्रिया से जुड़े मुद्दे तथा बाद में उनका दुरुपयोग किसी भी संगठन के लिए चिंता का मुख्य विषय होते हैं।’ इसमें कहा गया, ‘बीएसएफ ने स्थिति पर समग्र दृष्टिकोण अपना है तथा इसके बाद समुचित कार्रवाई शुरू कर दी गयी है।’ वरिष्ठ कमांडिग अधिकारियों के एक दल द्वारा मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा को भी एक उपाय के रूप में गिनाया गया है।

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