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7वें वेतन आयोग के फिटमेंट फैक्टर और हाउस रेंट एलाउंस के प्रतिशत में सुधार के आसार खत्म: परमन्‍यूज

7वें वेतन आयोग के फिटमेंट फैक्टर और हाउस रेंट एलाउंस के प्रतिशत में सुधार के आसार खत्म

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चुनावी वर्ष में वर्तमान एनडीए सरकार से सातवें वेतन आयोग के अनुशंसाओं में सुधार का इंतजार कर रहे केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है. कर्मचारियों की उम्मीदों पर फिर पानी फेरते हुए राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में वित्त राज्यमंत्री श्री पी.राधाकृष्णन ने संसद को बताया कि 2.57 का फिटमैंट फैक्टर और हाउस रेंट एलाउंस की वतर्मान प्रतिशतता 7वें केन्द्रीय वेतन आयोग द्वारा की गई विशिष्ट और सुविचारित सिफारिशों पर आधारित है, इसलिए इसमें किसी प्रकार का परिवर्तन परिकल्पित नहीं है.
राज्यसभा सांसद श्री रवि प्रकाश वर्मा और श्री नीरज शेखर ने एक अतारांकित प्रश्न में सरकार से सवाल उठाया कि क्या सरकार मिडिल और निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए 7वें वेतन आयोग के ​तहत फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 2.81 करने का विचार रखती है. अपने सवाल में सांसदों ने यह भी आरोप लगाया कि वरिष्ठ अधिकारियों के लिए पहले ही उच्चतर फिटमेंट फैक्टर क्रियान्वित किया गया है.
ज्ञात है कि 7वें वेतन आयोग द्वारा पहले के ग्रेड पे सिस्टम को वेतन मैट्रिक्स में परिवर्तित कर नये वेतन संरचना की सिफारिश की गयी है. नये वेतन संरचना में वेतन इन्डेक्स द्वारा पुराने इंट्री वेतन की अवधारणा का समाप्त करते हुए ग्रेड वेतन के अनुसार ही अलग अलग वेतन लेवल मैट्रिक्स बनाया गया पूर्व के सबसे कम ग्रेड वेतन 1800 को लेवल 1 से क्रमश: बढ़ाते हुए लेवल 15 तक ले जाया गया. यहॉं ध्यान देने वाली बात है कि पहले के पे बैंड 1 से आगे के सभी वेतनमानों को वेतन लेवल निर्माण करने के न्यूनतम वेतन प्राप्त करने के लिए 2.57 से 2.81 तक गुणक का प्रयोग किया गया. अर्थात् निचले वेतन लेवल के न्यूनतम वेतन प्राप्त करने के लिए 2.57 का गुणक तथा उच्चतर यानि वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन लेवल में वेतन प्राप्त करने के लिए 2.81 का गुणक का प्रयोग किया गया। जिसे रेशनलाईजेशन आफ पे मैट्रिक्स का नाम दिया गया.

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वेतन आयोग के इस प्रकार के अनुशंसा का कर्मचारियों के यूनियन द्वारा काफी विरोध किया गया और इसे निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए भेदभाव वाला कहा गया. बाद में सरकार ने निदेशक स्तर के अधिकारियों के लिए रेशनलाईजेशन में सुधार किया और वेतन मैट्रिक्स में संशोधन किया गया.

कर्मचारी यूनियनों द्वारा एक समान वेतन रेशनलाईजेशन करने की मांग है कर्मचारी यूनियन इसके लिए न्यूनतम वेतन निर्धारण हेतु फिटमेंट फैक्टर में बढ़ोतरी की लगातार मांग कर रहे हैं. कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार फिटमेंट फार्मूले को कम—से—कम 2.84 तक मंजूर कर लेगी जिससे न्यूनतम वेतन 18000 से बढ़कर 19880 रु. तक हो जाता. परन्तु सरकार इस मामले में 7वें वेतन आयोग की सिफारिश का हवाला देकर पल्ला झाड़ती ही दिखती रही है. संसद में भी इस सवाल पर कि वरिष्ठ अधिकारियों के लिए वेतन मैट्रिक्स 2.81 के गुणक से क्रियान्वित किया गया है पर वित्त मंत्रालय ने यह उत्तर दिया कि संशोधित वेतन संरचना में वेतन निर्धारण के एि फिटमेंट गुणांक 2.57 है जो सभी वर्गों के कर्मचारियों के लिए है प्रयोज्य हैं. परन्तु वरिष्ठों के वेतनमान निर्धारण के लिए 2.81 के गुणांक पर सरकारी उत्तर चुप हो जाता है.

हाउस रेंट अलाउंस — कर्मचारी यूनियनों ने काफी प्रयास किया कि एच.आर.ए. के प्रतिशत 6ठे वेतन आयोग की दर से कम न किए जाएं. उपरोक्त वर्णित राज्यसभा अतारांकित प्रश्न में सांसदों ने सरकार से पूछा है कि क्या सरकार महानगरों में मूल वेतन की 24 प्रतिशत धनराशि में किराए पर आवास न मिलने की समस्या को देखते हुए मौजूदा 24 प्रतिशत एच आर ए जैसा कि छठे वेतन आयोग में था, को बढ़ाकर 30 प्रतिशत करेगी? 
तो सरकार ने उत्तर दिया कि 6 जुलाई, 2017 के संकल्प के द्वारा यह निर्णय लिया गया कि जब महंगाई भत्ता 25 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा तो एक्स वाई और जेड शहरों में मकान किराया भत्ता मूल वेतन का 27, 18, 9 प्रतिशत हो जाएगा और जब महंगाई भत्ता 50 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा तो एक्स, वाई और जेड शहरों में यह मूल वेतन का 30,20,10 प्रतिशत हो जाएगा.
नीचले और मध्यम स्तर के कर्मचारियों की बात करें तो एक नौकरी प्राप्त होने पर एम.टी.एस. को महानगर में 18000 का 24 प्रतिशत यानि 4320 रु. एचआरए मिलेगा. और इस दर में महानगरों में आवास किराये पर मिलने की कितनी सम्भावना है इसका यथार्थ सरकार का मालूम है.

7वें वेतन आयोग के लागू होने की तिथि 01.01.2016 अब 3 साल पुराना होने जा रहा है. 3 साल में 9 प्रतिशत की महंगाई दर रही है। इस अनुपात में स्वत: ही कल्पना की जा सकती है कि 50 प्रतिशत महंगाई दर आने में कितने साल लगेगें शायद 15 साल तबतक 8वां वेतन आयोग से ही उम्मीद बाकी रह जाएगी.
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