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सांसदों के अच्छे दिन जल्द, दोगुनी होगी सैलरी: सासदों की दलील सातवें वेतन आयोग की सिफ़ारिशें माने जाने के बाद देरी क्यों

सांसदों के अच्छे दिन जल्द, दोगुनी होगी सैलरी: सासदों की दलील सातवें वेतन आयोग की सिफ़ारिशें माने जाने के बाद देरी क्यों 

नई दिल्ली: सांसदों के अच्छे दिन जल्द ही आने वाले हैं. सांसदों के के वेतन और भत्ते बढ़ाने के मामले पर गेंद अब पीएमओ के पाले में है. इस पर जल्द फ़ैसला हो सकता है. इस मुद्दे पर संसद की संयुक्त समिति को दिए जवाब में सरकार ने कहा है कि सासदों के वेतन बढ़ाने को लेकर समिति की सिफ़ारिश पर पीएमओ फिलहाल विचार कर रहा है. सरकार ने ये उम्मीद भी जताई कि नवंबर में शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में इससे जुड़ा विधेयक लाया जाएगा.

बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बनी संसद की स्थायी समिति ने पिछले साल सांसदों के वेतन – भत्ते और पूर्व सांसदों के पेंशन में दोगुनी बढ़ोत्तरी करने का प्रस्ताव दिया था. समिति की सिफ़ारिश के मुताबिक़ एक सांसद का वेतन 50,000 रूपये प्रति माह से बढ़ाकर 1,00,000 रूपये करने का प्रस्ताव था. इसके अलावा सांसद के संसद क्षेत्र और निजी स्टॉफ भत्ते में भी इज़ाफ़ा करने की सिफ़ारिश की गई थी.

समिति की सिफ़ारिश के बाद वित्त मंत्रालय ने इसपर काम भी करना शुरू कर दिया था लेकिन कुछ आलोचनाओं के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसपर अपनी असहमति जतायी…. जिसके बाद सरकार ने इस पर अपने पैर खींच लिए थे. मामला तबसे लंबित पड़ा है लेकिन अब सरकार के रूख़ से सांसदों के लिए जल्द अच्छी ख़बर आने की संभावना बढ़ गई है.

संयुक्त संसदीय समिति की मंगलवार को हुई बैठक में सासदों की दलील थी कि सातवें वेतन आयोग की सिफ़ारिशें माने जाने के बाद अब उनके वेतन बढ़ाने में सरकार की ओर से देरी क्यों की जा रही है. इसपर सरकार का पक्ष रख रहे संसदीय कार्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि मामले पर पीएमओ विचार कर रहा है. पीएमओ से हरी झंडी मिलने के बाद इसपर कैबिनेट की मुहर लगेगी जिसके बाद इस मसले से जुड़े बिल को शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा.

बैठक में सांसद स्थानीय विकास निधि यानि MPLAD को भी 5 करोड़ से 25 करोड़ प्रति वर्ष यानि पांच गुना बढ़ाने का मामला भी उठाया गया. इसी महीने की 10 तारीख को भाजपा के ही लगभग 250 सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन देकर मांग की थी कि सांसद निधि को पांच गुना बढ़ाया जाए. सूत्रों के मुताबिक़ उस वक्त भी प्रधानमंत्री ने सांसदों के वेतन और सांसद निधि में बड़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी का समर्थन नहीं किया था.
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