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Review of RTI Act : Rajya Sabha Q&A

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF  PERSONNEL,PUBLIC GRIEVANCES AND PENSIONS
RAJYA SABHA

Review of RTI Act

UNSTARRED QUESTION NO-2101 by DR. T. SUBBARAMI REDDY

(a) whether any review has been made to assess the working of the Right to Information (RTI) Act;
(b) if so, the details thereof and the outcome thereto;
(c) whether the general public is facing undue hardships in getting the information within the stipulated time-frame; and
(d) if so, the mechanism proposed to be developed by Government in this regard?

ANSWERED ON-30.08.2012 ANSWER

Minister of State in the Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions and Minister of State in the Prime Minister’s Office. (SHRI V. NARAYANASAMY)

(a): A study was conducted through an independent organization to assess the key issues and constraints in implementation of the Right to Information Act, 2005.
(b): The study points out that there is inadequate planning by the public authorities in regard to supply of information; awareness about the Act in rural areas is much less than in urban areas; awareness amongst women is much less than men; the gap in implementation of the Act is because of lack of clear accountability in respect of various functionaries etc. In this regard, the study recommended measures for improving awareness on right to information; improving convenience in filing information requests; improving efficiency of the Information Commissions, enhancing accountability and clarity of various stakeholders, etc.
(c): The Act provides for imposition of penalty on the public information officer in case the information is not supplied within the stipulated time frame. It ensures timely supply of information.
(d): The Government has taken steps to build the capacity of the demand and supply side through training, on-line certificate course, and publication of guides on the Right to Information Act. Awareness Generation has been undertaken through print, electronic, outdoor media and workshops. An RTI Logo has been designed and propagated widely. Apart from this, a clarificatory order was also issued vide OM No. 1/18/2007-IR dated 21st September, 2007 impressing upon the public authorities to disclose maximum information proactively so that citizens need not resort to filing of RTI applications to access information available with the public authorities.
***** 
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत
तथा पेंशन मंत्रालय
(कार्मिक और
प्रशिक्षण विभाग)
* * *
राज्‍य सभा
अतारांकित प्रश्‍न
संख्‍या: 2101
                            (दिनांक 30.08.2012
को उत्‍तर के लिए)    
सूचना का अधिकार
अधिनियम की समीक्षा
2101.
डॉ. टी. सुब्‍बारामी रेड्डी :  
      
क्‍या प्रधान मंत्री
यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क)    क्‍या सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के
कार्यकरण का आकलन करने के लिए कोई समीक्षा की गई है
;
                 
(ख)    यदि हां, तो तत्‍संबंधी ब्‍यौरा क्‍या है और
इसका क्‍या परिणाम निकला
;   
(ग)    क्‍या आम जनता को निर्धारित समय सीमा के भीतर
सूचना प्राप्‍त करने में अनावश्‍यक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है
; और
(घ)    यदि हां, तो इस संबंध में सरकार द्वारा क्‍या
व्‍यवस्‍था बनाए जाने का प्रस्‍ताव है
?
                                          उत्‍तर
कार्मिक, लोक शिकायत
तथा पेंशन मंत्रालय में राज्‍य मंत्री तथा प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्‍य
मंत्री
(श्री वे.
नारायणसामी)
(क) :   सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रमुख
मुद्दों और इसके कार्यान्‍वयन में आने वाली कठिनाइयों के आकलन हेतु एक स्‍वतंत्र
संगठन द्वारा अध्‍ययन करवाया गया था ।
(ख्‍) : अध्‍ययन
से यह पता चलता है कि सूचना उपलब्‍ध कराने के संबंध में लोक प्राधिकारियों द्वारा
तैयार की गई योजना अपर्याप्‍त है, शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों
में अधिनियम के बारे में जागरूकता काफी कम है
; पुरुषों की तुलना
में महिलाओं में जागरूकता काफी कम है, अधिनियम के कार्यान्‍वयन में कमी का कारण
विभिन्‍न क्रियाकलापों के संबंध में स्‍पष्‍ट जवाबदेही का अभाव है । इस बारे में,
इस अध्‍ययन में, सूचना के अधिकार के बारे में जागरूकता बढ़ाने, मांगी गई सूचनाओं
को दर्ज करने की सुविधा में सुधार, सूचना आयोगों की कार्यकुशलता में सुधार, विभिन्‍न
पणधारियों इत्‍यादि की जवाबदेही बढ़ाने और स्‍पष्‍टता लाने की सिफारिश की है ।
(ग) : इस
अधिनियम में लोक अधिकारी पर शास्ति लगाए जाने का प्रावधान है यदि निर्धारित
समय-सीमा में सूचना प्रदान नहीं की जाती है । इसमें सूचना का समय पर दिया जाना
सुनिश्चित होता है ।
(घ) : सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम पर
प्रशिक्षण, ऑनलाइन प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम और मार्गदर्शिकाओं के प्रकाशन द्वारा
मांग और पूर्ति पक्ष संबंधी क्षमता निर्माण के बारे में कदम उठाए हैं । प्रिंट,
इलेक्‍ट्रॉनिक और आउटडोर मीडिया और कार्यशालाओं द्वारा जागरूकता बढ़ायी गई है ।
सूचना का अधिकार के लोगो का डिजाइन तैयार किया गया है और इसका व्‍यापक प्रचार किया
गया है । इसके अलावा दिनांक 21 सितम्‍बर, 2007 का का. ज्ञा. सं. 1/18/2007-आईआर के
अंतर्गत स्‍पष्‍टीकारक आदेश जारी किए गए हैं जिसमें लोक प्राधिकरणों को पूर्व-सक्रिय
रूप से अधिकतम सूचना का प्रकटीकरण करने के लिए कहा गया है ताकि नागरिकों को, लोक
प्राधिकरणों के पास उपलब्ध सूचना प्राप्‍त करने के लिए सूचना का अधिकार संबंधी
आवेदन नहीं करना पड़े ।
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