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वन रैंक वन पेंशन का लाभ नहीं मिला, ट्रिब्यूनल में दी चुनौती

रक्षा मंत्रालय की वन रैंक वन पेंशन योजना को चंडीगढ़ आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल (एएफटी) में चुनौती दी गई है। सोमवार को वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के खिलाफ कुल आठ याचिकाएं दायर हुईं। ट्रिब्यूनल के जस्टिस प्रकाश कृष्णा व लेफ्टिनेंट जनरल डीएस सिद्धू की बेंच ने रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

इस मामले की सुनवाई अब चार जुलाई को होगी। केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद यह पहली बार है, जब किसी ट्रिब्यूनल में वन रैंक वन पेंशन को चुनौती दी गई हो।

एएफटी में ओआरओपी को चुनौती देने वाले आल इंडिया एक्स सर्विसमैन वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन भीमसेन सहगल ने बताया कि नोटिफिकेशन के पैरा नंबर 4.1 में उल्लेख है कि इस योजना का लाभ रिजर्व फोर्स के सिपाहियों को नहीं मिलेगा। उन्हें जो भी पेंशन मिल रही है, उसमें कोई इजाफा नहीं होगा।


उन्होंने बताया यह फैसला अन्यायपूर्ण है। यह उन सिपाहियों के साथ धोखा है, जो साल 1962, 1965 और 1971 के युद्ध में देश के साथ खड़े हुए और दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब दिया। रेग्युलर और रिजर्व सर्विस पूरी होने के बाद उन्हें पेंशन मिलने लगी। उन्हें अभी इतनी कम पेंशन मिल रही है, जिससे घर का खर्चा चलाना उनके लिए मुश्किल हो गया है।

सिर्फ 3500 रुपये मिल रही पेंशन
सहगल के मुताबिक फौज में पहले आठ साल रेग्युलर जॉब करनी पड़ती थी। उसके बाद उन्हें रिजर्व फोर्स में सात साल के लिए रखा जाता था। रिजर्व फोर्स में जाने के दौरान उन्हें हर महीने सिर्फ 20 रुपये मिलते थे। हालांकि दो महीने के लिए उन्हें ट्रेनिंग में भेजा जाता था, जिसमें उन्हें मेहनताना मिलता था। पूरे उत्तर भारत में इस कैटेगरी के गिनती के ही सिपाही बचे हैं। 1972 में उनकी पेंशन 40 रुपये थी। 1986 में रिवाइज कर 375 रुपये कर दी गई। 1996 में 1275 और फिर 2006 में 3500 रुपये, लेकिन इसके बाद कोई इजाफा नहीं किया गया, जबकि 2009, 2012 और 2014 में बाकियों की पेंशन में बढ़ोतरी हुई, लेकिन इनका एक भी रुपया नहीं बढ़ा।

कई बार पत्र लिखा, लेकिन नहीं हुई सुनवाई
एसोसिएशन ने इस बारे में संबंधित अथॉरिटीज को कई बार पत्र लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिर में उन्हें ट्रिब्यूनल में जाना पड़ा। उन्होंने बताया कि वन रैंक वन पेंशन के मुताबिक उन्हें अब 6665 रुपये पेंशन मिलनी चाहिए, लेकिन उन्हें सिर्फ 3500 रुपये में ही गुजारा करना पड़ रहा है। इन पेंशनरों की उम्र 80-90 साल होगी। उम्र के इस पड़ाव में उन्हें काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। इतनी कम राशि में उन्हें घर चलाना मुश्किल हो रहा है। याचिका दायर करने वालों में बलदेव सिंह, रघुवीर सिंह, भूरी सिंह, राज मल व चंदकिशोर सहित कई लोग शामिल हैं।

Read at: Amar Ujala

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