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News: six-days a week workdays in central government offices

Central Government Officers may have to work 6 days a week

Deccan Chronical | June 03, 2014

New Delhi: Speculation is rife in various union ministries that the new government under Narendra Modi may revert back to the six-days a week workdays in central government offices after about three decades.
Although there is no move yet by the government in this regard the issue is subject of much discussion among the bureaucrats. It was former PM Rajiv Gandhi who, in the mid-1980s, had decided to go in for the five-day week.
The aim at that time was to promote efficiency since it gave the bureaucrats much-needed rest over the weekend on the assumption that the work-culture would improve during week-days.
The closure of Government offices on Saturdays also resulted in saving of electricity and other expenses of the Centre. But despite the current five-day week, some of the ministers even in the previous UPA-2 government were known to attend office on Saturdays and attend to files and other important work.

हफ्ते में छह दिन खुल सकते हैं केंद्र सरकार के दफ्तर – अमर उजाला 

नई दिल्ली, 1 जून, 2014


पीएम ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से मांगी सलाह

नई दिल्ली। जल्दी ही केंद्र सरकार के कर्मचारियों के आराम भरे अच्छे दिन कामकाज वाले मेहनत के दिनों में बदल सकते हैं। राजीव गांधी सरकार का एक बड़ा फैसला बदलकर मोदी सरकार केंद्र सरकार के कार्यालयों में पांच दिन की जगह फिर छह दिन के काम का सप्ताह लागू करने पर विचार कर रही है। मोदी सरकार के इस विचार से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी सहमत है। संघ नेतृत्व मानता है कि राजीव गांधी ने यह व्यवस्था पश्चिमी देशों के मॉडल से प्रभावित होकर की थी, जिसे बदला जाना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए सरकारी दफ्तरों के खुलने का समय सुबह साढ़े नौ बजे से बढ़ाकर दस बजे और बंद होने का समय शाम छह बजे से घटाकर साढ़े पांच बजे करने या शनिवार को आधा दिन का कार्यदिवस करने या फिर महीने में पहला और तीसरा शनिवार पूरा अवकाश रखने के विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है। हालांकि इस व्यवस्था को बदलने में अभी कुछ वक्त लग सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विषय पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों की सलाह मांगी है।
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी रोज सुबह आठ बजकर पचास मिनट पर कार्यालय पहुंच रहे हैं। वह चाहते हैं कि केंद्र सरकार के सभी अधिकारी और कर्मचारी इसी मुस्तैदी से काम करें। इसी सिलसिले में उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों और सलाहकारों से यह चर्चा की है कि क्यों न केंद्र सरकार के दफ्तरों को उसी तरह सप्ताह में छह दिन खोला जाए जैसे ज्यादातर राज्य सरकारों के दफ्तर खुलते हैं या फिर पहले केंद्र सरकार के दफ्तर खुलते थे। इससे सरकारी कामकाज में एक दिन और बढ़ जाएगा।

शेष पेज १४ पर
मोदी सरकार पांच दिन की जगह फिर छह दिन के काम का सप्ताह करने पर कर रही विचार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी है सहमत


पांच दिन के हफ्ते के पीछे तर्क


राजीव सरकार का तर्क था कि हफ्ते में पांच कार्यदिवस होने से कर्मचारियों की काम की क्षमता बढ़ेगी, क्योंकि एक दिन के साप्ताहिक अवकाश में कर्मचारी छह दिन के काम के बोझ से इतना थक जाते हैं कि अवकाश का दिन उनके आराम में निकल जाता है और वह अपने पारिवारिक व घरेलू काम के लिए समय नहीं निकाल पाते। तब दफ्तरों से गायब होकर निजी काम करने की प्रवृत्ति बढ़ती है।

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मोदी सरकार में आराम नहीं, काम के दिन आने वाले हैं – नवभारत टाइम्स 

Jun 4, 2014, 09.25AM IST, नरेंद्र नाथ, नई दिल्ली

नरेंद्र मोदी की सरकार में केंद्रीय कर्मचारियों का वीकेंड छोटा हो सकता है और काम के घंटे भी बढ़ सकते हैं। मोदी की अगुआई वाली एनडीए सरकार ने काम की स्पीड बढ़ाने और वक्त पर पूरा करने के उद्देश्य से मंत्रालयों और विभागों में काम करने के मौजूदा सिस्टम को पूरी तरह बदलने की पहल की है।

सूत्रों के अनुसार, डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग को इसके लिए कैबिनेट नोट तैयार करने को कहा गया है और संसद सत्र के तुरंत बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है। इस बारे में मंगलवार को नरेंद्र मोदी सभी सेक्रेटरी से विचार करने वाले थे, लेकिन गोपीनाथ मुंडे की मौत के कारण मीटिंग नहीं हो सकी। मोदी ने डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग मिनिस्ट्री अपने पास ही रखी है।

सूत्रों के मुताबिक, जब तक आधिकारिक आदेश जारी नहीं होता, तब तक सभी सेक्रेटरी को मौखिक निर्देश से शनिवार को भी ऑफिस आने को कहा गया है। दरअसल मोदी काम के प्रति जुनूनी माने जाते हैं और खुद 18 घंटे काम करते हैं। उन्होंने अपनी टीम में भी ऐसे ही लोगों को जगह दी है जो शारीरिक और मानसिक तौर पर मुश्किल काम करने के आदी हैं।

गुजरात मॉडल लागू करने की कोशिश
नरेंद्र मोदी ने बतौर गुजरात सीएम वहां काम करने का अलग पैटर्न बनाया था, जो सफल भी हुआ। ऑफिस 8 बजे खुलने लगे। अब उसी सिस्टम को यहां भी लागू करने की कोशिश है।

परफॉर्मेंस बेस्ड अप्रेजल सिस्टम
डीओपीटी को अगले साल से सरकारी कर्मियों का अप्रेजल सिस्टम भी बदलने को कहा गया और इसे प्रदर्शन के आधार पर तय करने को कहा गया है। इसकी रूपपेखा क्या होगी, इसे तय करने के लिए जल्द कमिटी बन सकती है। सरकार चाहती है कि सैलरी का एक हिस्सा पूरी तरह प्रदर्शन के आधार पर तय हो, जिससे कॉरपोरेट के अंदाज में काम का सही मूल्यांकन और कर्मियों के बीच बेहतर काम का कॉम्पिटिशन हो सके।

1985 में शुरू हुई थी परंपरा
1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने हफ्ते में पांच दिन ऑफिस की परंपरा शुरू की थी। इसके लिए बाकी के पांच दिन ऑफिस टाइमिंग में एक घंटे की वृद्धि की गई थी। उस वक्त तर्क दिया गया था कि इससे अधिकारी तरोताजा होकर काम करते रहेंगे। दिलचस्प बात है कि इसके बाद कई राज्यों ने भी केंद्र की तर्ज पर फाइव डेज वर्किंग की परंपरा शुरू की थी। अधिकतर देशों और बड़ी मल्टि-नैशनल कंपनियों में भी पांच दिन ही काम होता है।

इन प्रस्तावों पर हो रहा है विचार
* हफ्ते में मात्र रविवार को छुट्टी हो और शनिवार को सभी मंत्रालय और विभाग खुले रहें।
* ऑफिस का कामकाज सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक हो।

* ऑफिस की टाइमिंग 8 से 6 हो और लंच दो घंटे का हो, जिसमें कर्मियों को थोड़ा आराम मिले।
* ऑफिस का कामकाज सुबह 9 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक चलता रहे।
[Source]


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