Research on Living Wages and planning to shift from “minimum wage” to “living wage”

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Research on Living Wages and planning to shift from “minimum wage” to “living wage”

Research on Living Wages and planning to shift from “minimum wage” to “living wage” – निर्वाह-मजदूरी संबंधी शोध एवं “न्यूनतम मजदूरी” को “निर्वाह-मजदूरी” में बदलने की योजना

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF LABOUR AND EMPLOYMENT
RAJYA SABHA
STARRED QUESTION NO. 08
TO BE ANSWERED ON 02.02.2023

RESEARCH ON LIVING WAGES

08. DR. ASHOK KUMAR MITTAL:
Will the Minister of Labour and Employment be pleased to state:

(a)whether Government plans on undertaking research for improvised understanding of living wages to reach a theoretical estimate of living wage and if so, the details thereof;

(b)whether Government is planning to shift from “minimum wage” to “living wage”, if so, the details of measures planned for the same; and

(c)whether Government has an estimate of the number of beneficiaries by such a shift, if so, the details thereof?

ANSWER

MINISTER OF LABOUR AND EMPLOYMENT
(SHRI BHUPENDER YADAV)

(a) to (c): Provision of minimum wages under the Minimum Wages Act, 1948 provides for cost of living allowance as a component of minimum wages. Accordingly, the Central Government revises the cost of living allowance called as Variable Dearness Allowance (V.D.A) on basic rates of minimum wages under the Minimum Wages Act, 1948, every six months effective from 1st April and 1st October every year on the basis of Consumer Price Index for Industrial workers to protect the minimum wages against inflation.

Recently the provisions of the Minimum Wages Act, 1948, have been rationalized and subsumed under the Code on Wages, 2019 and the components of minimum wages stipulated therein also provide for cost of living allowance. Further, the Code makes minimum wages universally applicable across employments and thus moves ahead from restrictive applicability of minimum wages limited to scheduled employments as provided for under the Minimum Wages Act, 1948.

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भारत सरकार
श्रम और रोजगार मंत्रालय
राज्य सभा
तारांकित प्रश्न संखया 08
गुरूवार, 02 फरवरी, 2023/ 13 माघ, 1944 (शक)

निर्वाह-मजदूरी संबंधी शोध

“08. डा. अशोक कुमार मित्तल:
क्या श्रम और रोजगार मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(क) क्या सरकार निर्वाह-मजदूरी के एक सैद्धांतिक अनुमान तक पहुंचने के लिए निर्वाह-मजदूरी की तात्कालिक समझ के लिए कोई शोध करने की योजना बना रही है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्‍या है;

(ख) क्या सरकार “न्यूनतम मजदूरी” को “निर्वाह-मजदूरी” में बदलने की कोई योजना बना रही है, यदि हां, तो इसके लिए नियोजित उपायों का ब्यौरा कया है; और

(ग) क्या सरकार के पास इस तरह के बदलाव से लाभान्वित होने वाले लोगों की संख्या का कोई अनुमान है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा कया है?

उत्तर

श्रम और रोजगार मंत्री
(श्री भूपेन्द्र यादव)

(क) से (ग): न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के अंतर्गत न्यूनतम मजदूरी हेतु प्रावधान में न्यूनतम मजदूरी के एक घटक के रूप में जीवन-निर्वाह भत्ते की लागत का उपबंध किया गया है। तदनुसार, केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष मंहगाई के प्रभावों से न्यूनतम मजदूरी का संरक्षण करने के लिए न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के अंतर्गत निर्वाह भत्ते, जिसे परिवर्तनीय मंहगाई भत्ते (वी.डी.ए.) के रूप में जाना जाता है, में प्रत्येक छ: महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर न्यूनतम मजदूरी की मूल दरों में संशोधन किए जाते हैं जो 1 अप्रैल और 1 अक्तूबर से प्रभावी होते हैं।

हाल ही में, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के उपबंधों को तरकसंगत बनाया गया है और इसे मजदूरी संहिता, 2019 के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है एवं इसमें निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के घटकों में भी जीवन-निर्वाह भत्ते की ल्रागत हेतु उपबंध किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, इस संहिता में न्यूनतम मजदूरी को सार्वभौमिक रूप से सभी रोजगारों पर लागू किया जाता है और इस प्रकार यह न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के अंतर्गत यथाउपबंधित अनुसूचित नियोजनों तक सीमित न्यूनतम मजदूरी की प्रतिबंधात्मक अनुप्रयोज्यता के दायरे को विस्तृत बनाती है।

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