Unethical and Illegal Layoffs of Employees – कर्मचारियों की अनैतिक और अवैध छंटनी

HomeWages

Unethical and Illegal Layoffs of Employees – कर्मचारियों की अनैतिक और अवैध छंटनी

Unethical and Illegal Layoffs of Employees – कर्मचारियों की अनैतिक और अवैध छंटनी.  As per the ID Act, establishments employing 100 persons or more are required to seek prior permission of the appropriate Government before effecting closure, retrenchment or lay-off.

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF LABOUR AND EMPLOYMENT
RAJYA SABHA
UNSTARRED QUESTION NO. 90
TO BE ANSWERED ON 02.02.2023

UNETHICAL AND ILLEGAL LAYOFFS OF EMPLOYEES

90. SHRI VIKRAMJIT SINGH SAHNEY:

Will the Minister of Labour and Employment be pleased to state:

(a)whether Government is aware about the unethical and illegal layoffs of the employees by the online retailers, if so, the details thereof;

(b)the number of people laid off by such online retailers during the last five years, year- wise;

(c)the details of steps taken by Government to address this issue during the last five years, year-wise;

(d)whether Government has conducted any study on unethical and illegal layoffs by companies, if so, the details thereof and if not, the reasons therefor; and

(e)the details of Government guidelines for layoffs by companies?

ANSWER

MINISTER OF STATE FOR LABOUR AND EMPLOYMENT (SHRI RAMESWAR TELI)

(a) to (e): Matters relating to lay-off and retrenchment in industrial establishments are governed by the provisions of the Industrial Disputes Act, 1947 (ID Act) which also regulates various aspects of lay-off and conditions precedent to retrenchment of workmen. As per the ID Act, establishments employing 100 persons or more are required to seek prior permission of the appropriate Government before effecting closure, retrenchment or lay-off. Further, any retrenchment and lay-off are deemed to be illegal which is not carried out as per the provisions of ID Act. ID Act also provides for right of workmen laid off and retrenched for compensation and it also contains provision for re-employment of retrenched workmen. Based on their respective jurisdictions as demarcated in the ID Act, Central and State Governments take actions to address the issues of the workmen and protect their interests as per the provision of the Act. In the establishments that lie in the jurisdiction of Central Government, the Central Industrial Relations Machinery (CIRM) is entrusted with the task of maintaining good Industrial relations and protects the interest of workers including on the matters relating to lay off. The jurisdiction in the matters with regard to online retailers lies with the respective State Government.


भारत सरकार
श्रम और रोजगार मंत्रालय
राज्य सभा

अतारांकित प्रश्न संखया 90

गुरूवार, 02 फरवरी, 2023/ 13 माघ, 1944 (शक)

कर्मचारियों की अनैतिक और अवैध छंटनी

90. श्री विक्रमजीत सिंह साहनी:

क्या श्रम और रोजगार मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(क) क्या सरकार को ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं द्वारा कर्मचारियों की अनैतिक और अवैध छंटनी की जानकारी है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्‍या है;

(ख). विगत पांच वर्षों के दौरान ऐसे ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं द्वारा वर्ष-वार कितने लोगों को नौकरी से निकाला गया है;

(ग) विगत पांच वर्षों के दौरान सरकार द्वारा इस समस्या के समाधान हेतु उठाए गए कदमों का वर्ष-वार ब्यौरा क्‍या है;

(घ) क्या सरकार ने कंपनियों दवारा अनैतिक और अवैध छंटनी के संबंध में कोई अध्ययन कराया है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं; और

(ङ) कंपनियों द्वारा छंटनी करने के संबंध में सरकार के दिशान-निर्देशों का ब्यौरा क्‍या है?

उत्तर

श्रम ओर रोजगार राज्य मंत्री (श्री रामेश्वर तेली)

(क) से (ड): औदयोगिक प्रतिष्ठानों में कामबंदी और छंटनी से संबंधित मामले औदयोगिक विवाद अधिनियम, 1947 (आईडी अधिनियम) के उपबंधों द्वारा शासित होते हैं, जो कामबंदी के विभिन्‍न पहलुओं और कर्मकारों की छंटनी से पहले की शर्तों को भी विनियमित करता है। आईडी अधिनियम के अनुसार, 100 या उससे अधिक व्यक्तियों को नियोजित करने वाले प्रतिष्ठानों को बंद करने, छंटनी या कामबंदी करने से पहले समुचित सरकार की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है। इसके अलावा, वैसी किसी भी छंटनी और कामबंदी को अवैध माना जाता है जिसे आईडी अधिनियम के उपबंधों के अनुसार नहीं किया जाता है। आईडी अधिनियम में काम से रोके गए और छंटनी किए गए कमकारों के लिए मुआवजे के अधिकार का भी प्रावधान किया गया है और इसमें छंटनी किए गए कर्मकारों के पुनरनियोजन का भी प्रावधान है। आईडी अधिनियम में सीमांकित उनके संबंधित अधिकार-क्षेत्र के आधार पर, केंद्र और राज्य सरकारें अधिनियम के उपबंधों के अनुसार कर्मकारों की समस्याओं का समाधान करने और उनके हितों की रक्षा करने के लिए कार्रवाई करती हैं। केंद्र सरकार के अधिकारनक्षेत्र में आने वाले प्रतिष्ठानों में, केंद्रीय औदयोगिक संबंध तंत्र (सीआईआरएम) को अच्छे औदयोगिक संबंध बनाए रखने और कामगारों के हितों की रक्षा करने का काम सौंपा गया है, जिसमें कामबंदी से संबंधित मामले भी शामिलत्र हैं। ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं से संबंधित मामले संबंधित राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आते हैं।

View/Download the PDF

COMMENTS

WORDPRESS: 0