पेंशन में जीवन प्रमाणपत्र की बाधा डिजिटली करें दूर

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पेंशन में जीवन प्रमाणपत्र की बाधा डिजिटली करें दूर

पेंशन में जीवन प्रमाणपत्र की बाधा डिजिटली करें दूर Digitally remove obstruction of life certificate in pension

मशहूर टीवी सिरियल ‘ऑफिस-ऑफिस’ के मुसदीलाल की तरह खुद को जिंदा साबित करने के लिए अब आपको बैंक, डाकघर या केंद्रीय पेंशन लेखांकन कार्यालय (पीपीएओ) के चक्‍कर काटने की जरूरत नहीं है। बस आप स्मार्ट फोन या कंप्यूटर पर जीवन प्रमाण एप्‍लिकेशन में जरूरी जानकारी भरकर घर या कॉमन सर्विस सेंटर से डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (डीएलसी) बनवा व जमा करा सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा 1 नवम्‍बर 2019 को शुरु की गई इस सुविधा का लाभ 7 अक्टूबर 2020 लक 95 लाख 15 हजार पेंशनभोगी उठ चुके हैं.

हर साल पेंशन धारकों को नवंबर में अपने बैंक में लाइफ है सर्टिफिकेट या जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की जरूरत होती है। इससे पेंशन मिलने में किसी तरह की बाधा पैदा नहीं होती है। पहले पेंशन धारकों को फिजकली यानी खुद इस सर्टिफिकेट को जमा करना पड़ता था। लेकिन, अब यह काम ऑनलाइन किया जा सकता है। केंद्र व राज्य सरकार के 1 करोड़ सरकारी पेंशनधारियों के अलावा ईपीएफओ कर्मचार पेंशन योजना( ईपीएस ) के पेंशनभोगी भी इस डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र का फायदा ले सकते हैं। उमंग एप से जीवन प्रमाण पत्र बनाने की सुविधा भी दी गई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने तो उमंग एप से डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा कराने की सुविधा एक साल की वैधता के साथ दी है। सरकार ने 80 साल के ऊपर की आयु के पेंशनधारियों के लिए घर जाकर जीवन प्रमाण पत्र तैयार किए जाने के अलावा अस्पताल के आईसीयू में भी बनाए जाने के विकल्प शामिल किए गए हैं। ये सुविधा जीवन प्रमाण 2.0 में जोड़ी गई है। पहले इसे आधार केंद्र से लिंक किया गया था। 2014 से 7 अक्टूबर, 2020 तक करीब 3.58 करोड़ डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा कराए जा चुके हैं। वहीं 1 नवंबर, 2019 से 7 अक्टूबर 2020 तक 95.15 लाख पेंशनभोगी अपना डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा करवा चुके हैं।

केंद्र सरकार ने पिछले साल से 80 वर्ष या उससे अधिक आयु के पेंशनभोगियों को एक महीने पहले 1 अक्टूबर से ही जीवन प्रमाणपत्र जमा कराने की छूट दी है ताकि उन्हें नवंबर महीने की भीड़ से बचाया जा सके। कोरोना के कारण इस साल सभी पेंशनभोगियों को 1 नवंबर से 31 दिसंबर, 2020 तक जीवन प्रमाणपत्र जमा कराने की छूट दी गई है। बैंक या पोस्ट ऑफिस में जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए लगने वाली भीड़ इस योजना से करीब-करीब खत्म हो गई है। जीवन प्रमाण पत्र योजना का क्या है उद्देश्य जीवन प्रमाण पत्र योजना में पेंशनभोगियों के जीवित होने प्रक्रिया आसान बनाने का प्रयास किया गया है। योजना में ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि पेंशन पाने के लिए पेंशनभोगी व्यक्ति को सरकारी कार्यालयों के चक्कर न काटने पड़ें। पेंशनभोगियों के बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण में आधार नंबर का इस्तेमाल करके प्रमाणीकरण के बाद तैयार ये जीवन प्रमाण-पत्र कोष में जमा हो जाता है। जहां से पेशन खातों में पहुंचाने वाली एजेंसी प्रमाण-पत्र ऑनलाइन देख सकती है।

क्या है डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट?

पेंशनधारियों की मुश्किलें आसान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 नवंबर 2014 को जीवन प्रमाण एप्लीकेशन लांच किया। इसमें जीवन प्रमाण पत्र को आधार से जोड़ा गया। इसे जीवन प्रमाण 2.0 में आसान किया गया। अब पेंशनधारी व्यक्ति को बैंक या डाकघर जाने की जरूरत नहीं होती बल्कि घर या कॉमन सर्विस सेंटर में आधार-बायोमेट्रिक से प्रमाणीकरण हो जाता है। हर साल नवंबर में जीवन प्रमाणपत्र के लिए चक्कर काटने की जरूरत भी खत्म हो गई।

क्या है प्रक्रिया

पेंशनधारी व्यक्ति के आधार नंबर को ई-मेल से जोड़ा जाता है। ई-मेल पर आने वाले लिंक से ऑर्थेटिफिकेशन स्टेटमेंट भेजना होता है, जिससे बिना आधार केंद्र पर गए पेंशन पाने वाले व्यक्ति का सत्यापन हो जाता है। प्रमाणन के बाद आधार एप के जरिए ईमेल पर मिली जानकारी रियल टाइम पर तारीख, समय और बायोमेट्रिक सूचनाओं के साथ सेंट्रल डाटाबेस में जमा हो जाती है। इसके के बाद पेंशनभोगी को रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एसएमएस आता है। इसमें मिली ट्रांजेक्शन आईडी से पेंशनभोगी https://jeevanpramaan.gov.in पर जाकर कंप्यूटर द्वारा तैयार जीवन प्रमाण पत्र डाउनलोड कर सकता है।

ईपीएफओ के पेंशनघारी अब साल में कभी भी जमा करा सकेंगे जीवन प्रमाण

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन(ईपीएफओ ) से पेंशन लेने वाले धारकों को भी पहले हर साल निश्चित समय पर जीवन प्रमाण पत्र जमा करना होता था। लेकिन अब पेंशनभोगियों की सुविधा के लिए यह नियम बदल दिया गया है। अब अपनी सुविधानुसार पेंशनभोगी सालभर में कभी भी जीवन प्रमाण पत्र जमा करा सकता है। यह एक साल वैध रहेगा। यह प्रमाण मत्र ऑफिस जाकर ऑफलाइन भी जमा कराया जा सकता है।

क्या कागजात हैं जरूरी

डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र के बायोमेट्रिक वैरिफिकेशन के दौरान आपको आधार कार्ड नंबर, पेंशन पेमेंट ऑर्डर (पीपीओ ) नंबर, बैंक अकाउंट का विवरण और मोबाइल नंबर डालना होता है।

उमंग एप से भी तैयार कर सकते हैं डीएलसी

उमंग एप पर जीवन प्रमाण पत्र बनाने के लिए आपके पास यूआईडीएआई से प्रमाणित बायो-मैट्रिक डिवाइस होना चाहिए। एप इंस्टॉल करने के बाद उसमें जीवन प्रमाण सर्च करें। सामने जनरेट लाइफ सर्टिफिकेट का ऑप्शन आएगा। उसे क्लिक करें। एक फार्म खुलेगा जिसमें मांगी गई जानकारी भरें। फिर बायो-मैट्रिक की प्रमाणीकरण की प्रक्रिया शुरू करें। जब प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तब जीवन प्रमाण आईडी या फिर आधार नंबर दर्ज करके डीएलसी देख सकते हैं।

वो जो आप जानना चाहते हैं

  • पुराने परंपरागत जीवन प्रमाण पत्र की तरह इसे बैंक या पोस्ट ऑफिस में खुद जाकर जमा कराने की जरूरत नहीं है। यूनिक प्रमाण आईडी वाला ये प्रमाणपत्र एजेंसी खुद प्लेटफार्म पर डिजिटली खोलकर देख सकती है।
  • पेंशन मंजूर करने वाली एजेंसी जितने दिन की वैधता तय करेगी, उतने दिन में वैधता खत्म हो जाएगी। एक बार वैधता खत्म होने पर फिर से जीवन प्रमाण पत्र लेना होगा।
  • डीएलसी वही पेशनभोगी ले सकता है जिसके पेंशन मंजूरी अथॉरिटी ने जीवन प्रमाण में खुद को शामिल किया हो।
  • आपका डीएलसी स्वीकृत हुआ है या नहीं, इसकी जानकारी जीवन प्रमाण वेबसाइट से डाउनलोड करने पर मिलेगी। jeevanpramaan.gov.in वेबसाइट पर डीएलसी बनाने की सविधा नहीं है।
  • जीवन प्रमाण एप्लीकेशन केवल पेंशनभोगी के जीवन प्रमाणपत्र के पंजीकरण के लिए ही बनाया गया है। किसी अन्य कार्य के लिए एप्लीकेशन का इस्तेमाल करने की मनाही है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार या अन्य सरकारी संस्थाओं के पेंशनभोगी इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं।

आपके काम की बात

  • वेबसाइटः https://jeevanpramaan.gov.in
  • मेलः [email protected]
  • हेल्पलाइनः (91)-020-3076200
  • जीवन प्रमाण सेंटर के लिए एसएमएस:
    JPL <pincode> लिखकर 7738299899 पर एमएमएस करने पर आपके मोबाइल पर नजदीकी केंद्र का पता और लोकेशन आ जाएगा।

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