Bank Strikes called for two days on 30th and 31st of January, 2023 बैंकों की 30 और 31 जनवरी, 2023 को दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान

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Bank Strikes called for two days on 30th and 31st of January, 2023 बैंकों की 30 और 31 जनवरी, 2023 को दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान

Bank Strikes called for two days on 30th and 31st of January, 2023 बैंकों की 30 और 31 जनवरी, 2023 को दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF FINANCE
DEPARTMENT OF FINANCIAL SERVICES
LOK SABHA
UNSTARRED QUESTION No. 1760
ANSWERED ON 13th FEBRUARY, 2023 / MAGHA 24, 1944 (SAKA)

BANK STRIKES

1760. SHRI KOTHA PRABHAKAR REDDY:
Will the Minister of FINANCE be pleased to state:

(a) whether a nationwide bank strike was called by various banks recently and demands were received for the welfare of banks and its employees;

(b) if so the details thereof;

(c) the loss estimated from such bank strikes to industrialists/customers and other stakeholders since 2014 onwards till now occasion-wise; and

(d) the details of demands met by the Government till now and if not, the point-wise reasons why the Government has rejected the demands of bank unions?

ANSWER

MINISTER OF STATE IN THE MINISTRY OF FINANCE (DR. BHAGWAT KARAD)

(a) to (d): United Forum of Bank Unions (UFBU) had called for two days strike on 30th and 31st of January, 2023. The demands of bank employees were:

(i) Introduction of 5 banking days a week.
(ii) Updation of Pension for past retirees.
(iii) Resolution of residual issues.
(iv) Adequate recruitment in all cadres to ensure better customer service.
(v) Scrap New Pension Scheme and restore Old Pension Scheme.
(vi) Immediate commencement of negotiations on Charter of Demands for wage.

IBA has informed that on receipt of the strike notice, a conciliation meeting of UFBU with IBA was held at the office of Dy. Chief Labour Commissioner (CLC), Mumbai and after detailed deliberations, the strike was deferred.

Based on the consensus arrived at between the IBA representing management of the banks and unions/associations representing bank employees, demands of bank unions which have been met by the Government since 2014 till now include inter-alia:

(i) Improvement in family pension to 30% without any cap.
(ii) Declaring the second and fourth Saturdays of every month as public holiday.
(iii) Enhancement of rate of employers’ contribution under the National Pension System from 10% of pay plus dearness allowance to 14% thereof.
(iv) Introduction of Performance linked Incentive, Paternity Leave, Location Allowance
(for non CCA centres) and annual encashment of Privilege Leave.
(v) Introduction of medical health insurance scheme in place of existing hospitalization scheme.
(vi) Revision in definition of dependent’s family members.
(vii) No objection of Government to various Bipartite Settlements & Joint Notes, which include inter-alia, payment of arrears, revised salary, allowances to serving officers and revised pension and arrears to existing pension optees who have retired during the relevant Bi-partite periods.

As regards bank unions demand for immediate commencement of wage negotiations on Charter of Demands, Government has advised all Public Sector Banks (PSBs) vide letter dated 20.1.2023, that they may initiate the negotiation process for next wage revision.

PSBs have informed that the loss on account of bank strikes is not quantifiable. However, Government advises banks to take appropriate steps to maintain banking operations during the strike and avoid inconvenience to the general public, including adequate loading of cash in ATMs, ensuring operation of clearing houses, internet banking and core banking solution, etc.

*****

भारत सरकार
वित्त मंत्रालय
वित्तीय सेवाएं विभाग
लोक सभा
अतारांकित प्रश्न संख्या 1760
जिसका उत्तर 13 फरवरी, 2023/24 माघ, 1944 (शक) को दिया गया

बैंकों की हड़ताल

1760. श्री कोथा प्रभाकर रेड्डी:
क्या वित्त मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(क) कया हाल ही में विभिन बैंकों द्वारा राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल का आह्वान किया गया था और बैंकों और उनके कर्मचारियों के कल्याण के लिए कुछ मांगें रखी गई थीं;

(ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;

(ग) वर्ष 2014 से अब तक उद्योगपतियों/प्राहकों और अन्य हितधारकों को ऐसी बैंक हड़तालों से अनुमानित नुकसान का अवसर-वार ब्यौरा क्‍या है;

(घ) सरकार द्वारा अब तक पूरी की गई मांगों का ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो सरकार द्वारा बैंक यूनियनों की मांगों को अस्वीकार किए जाने के बिंदु-वार क्या कारण हैं ?

उत्तर

वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री (डॉ. भागवत कराड)

(क) से (घ): यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) ने 30 और 31 जनवरी, 2023 को दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया था। बैंक कर्मचारियों की निम्नलिखित मांगें थीं:-

(i) सप्ताह में 5 बैंकिंग दिन की शुरुआत

(ii) पूर्व में सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन को अद्यतन करना।

(iii) शेष बचे मुद्दों का समाधान।

(iv) बेहतर ग्राहक सेवा सुनिश्चित करने के लिए सभी संवर्गों में पर्याप्त भर्ती

(v) नई पेंशन योजना को रद्द करना और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना।

(vi) वेतन मांग पत्र पर तत्काल बातचीत आरंभ करना

आईबीए ने सूचित किया है कि हड़ताल का नोटिस प्राप्त होने पर, आईबीए के साथ यूएफबीयू की एक समझौता बैठक उप मुख्य श्रम आयुक्त (सीएलसी), मुंबई के कार्यालय में आयोजित की गई थी और विस्तृत विचार-विमर्श के बाद हड़ताल को स्थगित कर दिया गया था।

बैंकों के प्रबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले आईबीए और बैंक कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले यूनियनों/संघों के बीच बनी सहमति के आधार पर, वर्ष 2014 से अब तक सरकार द्वारा पूरी की गई बैंक यूनियनों की मांगों में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं –

(i) बिना किसी ऊपरी सीमा के पारिवारिक पेंशन में 30% तक सुधार।

(ii) हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित करना।

(iii) राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत नियोक्ताओं के अंशदान की दर को वेतन और महंगाई भत्ते के 10% से बढ़ाकर 14% करना।

(iv) कार्य प्रदर्शन से सम्बद्ध प्रोत्साहन, पितृत्व अवकाश, स्थान भत्ता (गैर सीसीए केंद्रों के लिए) और विशेषाधिकार अवकाश के वार्षिक नकदीकरण आरंभ करना।

(v) अस्पताल में भर्ती संबंधी मौजूदा योजना के स्थान पर चिकित्सा स्वास्थ्य बीमा योजना का आरंभ करना।

(vi) परिवार के आश्रित सदस्यों की परिभाषा में संशोधन।

(vii) विभिनन द्विपक्षीय निपटानों और संयुक्त टिप्पणियों पर सरकार की अनापत्ति, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ बकाया राशि का भुगतान, संशोधित वेतन, सेवारत अधिकारियों को भत्ते और प्रासंगिक द्विपक्षीय अवधि के दौरान सेवानिवृत्त हुए मौजूदा पेंशन का विकल्प लेने वालों को संशोधित पेंशन और बकाया राशि शामिल हैं।

जहां तक बैंक यूनियनों की मांग पत्र पर वेतन वार्ता तत्काल शुरू करने की मांग का संबंध है, सरकार ने दिनांक 20-1-2023 के पत्र के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों (पीएसबी) को सलाह दी है कि वे अगले वेतन संशोधन के लिए बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने यह सूचित किया है कि बैंक हड़तालों के कारण होने वाली हानि का आकलन नहीं किया जा सकता है। तथापि, सरकार बैंकों को सलाह देती है कि वे हड़ताल के दौरान बैंकिंग प्रचालनों को बनाए रखने और आम जनता को होने वाली असुविधा से बचाने के लिए उपयुक्त कदम उठाएं, जिसमें एटीएम में पर्यप्नि मात्रा में नकदी डालना, समाशोधन गृहों का परिचालन सुनिश्चित करना, इंटरनेट बैंकिंग और कोर बैंकिंग समाधान आदि शामिल हैं।

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