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सातवां वेतन आयोग: पेंशनरों और सैनिको के लिए आदेश जारी भत्तो की कब आएगी बारी ?

सातवां वेतन आयोग: पेंशनरों और सैनिको के लिए आदेश जारी भत्तो की कब आएगी बारी ? paramnews.com

नई दिल्ली, 4 मई: मोदी सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए गठित सातवां वेतन आयोग द्वारा ‘वेतन और पेंशनरी लाभ’ को लेकर की गई सिफारिशों की खामियों को दूर करने पर विचार के लिए गठित समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है. जिससे वित्त वर्ष 2016-17 में सरकार पर 84933 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा. यहाँ पढ़े: Pre-2016 Pensioners & Disability Pension: Cabinet approves modification in the 7th CPC recommendations on pay and pensionary benefits 
इधर दूसरी ओर, रक्षा मंत्रालय ने सभी पदों के वेतनमानों के लिए सातवां केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन पर नए वेतन स्ट्रक्चर के नोटिफिकेशन जारी किए हैं. पूरी खबर यहाँ पढ़े: सांतवा वेतन आयोग: रक्षा मंत्रालय ने सैनिकों के लिए अध‍िसूचना जारी की
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केंद्रीय कर्मचारी के भत्तों की बारी कब आएगी ?
अब सबसे अहम्  मुद्दा है, केंद्रीय कर्मचारी कि भत्तों की बारी कब आएगी ?. आखिर कब तक लगभग 47 लाख सरकारी कर्मचारियो के सब्र का इम्तिहान सरकार लेगी. हालाकिं, केंद्रीय कर्मचारियों के भत्तों पर गठित लवासा कमिटी ने अपनी रिपोर्ट 27 अप्रैल को वित्त मंत्रालय को सौंप दी है. साथ ही सातवां वेतन आयोग के तहत लवासा कमिटी द्वारा सिफारिश उच्च भत्ते की रिपोर्ट को व्यय विभाग द्वारा जांच की जा रही है, और जल्दी ही इस रिपोर्ट को एमपावर्ड कमिटी की सचिवों के अध्यक्ष (E-CoS) के समक्ष रखी जाएगा तथा एमपावर्ड कमिटी की मंजूरी के बाद, इसे केंद्रीय कैबिनेट को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. हालांकि, सरकार ने सातवां वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की है, लेकिन छठे वेतन आयोग के अनुसार भत्ते का भुगतान किया जा रहा है.

इधर राष्ट्रीय संयुक्त कार्य परिषद (एनजेसीए) के प्रमुख श्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि हमें कम से कम 10, 20 और 30 फीसदी हाउस रेंट अलाउंस ( एचआरए) चाहिए. इससे कम हमें मंजूर नहीं होगा. हमारी दूसरी मांग है कि एचआरए की नई दरें, नई बेसिक सैलरी के साथ 1 जनवरी 2016 से लागू की जाएं और इसका एरियर केंद्रीय कर्मचारियों को दिया जाए.
परम न्यूज़ टीम का आकलन 
जहाँ एक ओर विभिन्न मीडिया चैनलों द्वारा केवल केंद्रीय कर्मचारियों के “भत्ते एवं एरियर” से संवंधित रिपोर्ट को लेकर चर्चा होती रही वहीं paramnews.com टीम ने नेशनल काउंसिल, जे सी एम (स्टाफ साईड) के पत्रोंं तथा विभिन्न मीडिया रिपोर्ट के आधार पर यह सकारात्मक आकलन दिया था, कि सरकार पहले प्राप्त हो चुके पेंशन की कमिटी के रिपोर्ट पर निर्णय पहले लेगी तथा सरकार भत्तों की बढ़ोतरी से पूर्व सैनिकों के लिए सातवें वेतन आयोग लाएगी जोकि शत प्रतिशत सही साबित हुई है. पूरा रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहाँ Click करे.
क्या है सातवें वेतन आयोग की लंबित सिफारिशों का भविष्य क्या सरकार द्वारा 7th पे कमीशन में 10, 20 और 30 फीसदी एचआरए 1 जनवरी 2016 से लागू की जाएगी ?
सबसे अहम सवाल अब भी बना हुआ है कि सरकार ने संशोधित मकान किराया भत्ता को कब से देने की बात को स्वीकार करता है. यह प्रश्न अभी भी कर्मचारियों को सता रहा है. क्या यह दर 01.01.2016 से लागू की जाएगी या फिर वेतन आयोग लागू होने के समय यानी अगस्त, 2016 से यह लागू होगी. चूंकि कर्मचारी संघ संशोधित भत्ते को 01.01.2016 से लागु करने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार द्वारा इसे स्वीकार किया जाना मुश्किल लगता है. क्योकि, जैसा हम जानते हैं कि छठे वेतन आयोग और पिछले अन्य वेतन आयोग में भी भत्ता पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया गया क्योंकि संशोधित मूल वेतन का मतलब ही है, कि संबंधित वेतन आयोग के अनुसार संशोधित वेतन के अनुमोदन/ कार्यान्वयन की तारीख से भत्ते दी जाएगी. इसलिए आसानी कहा जा सकता है कि संशोधित भत्ते, सातवां वेतन आयोग के अनुमोदन/कार्यान्वयन की तारीख से नहीं दिया जाएगा, अर्थात 01.01.2016. अब सवाल उठता है कि सरकार द्वारा कर्मचारीयों की सातवां वेतन आयोग संशोधित भत्ते के अनुमोदन/कार्यान्वयन की तारीख क्या होगी. शायद, यह तारीख 01 अगस्त 2016 हो सकती है। इस सन्दर्भ में paramnews.com टीम भी इसका समर्थन करती है कि  केंद्रीय कर्मचारी, सातवां वेतन आयोग के अनुमोदन की तारीख 01 अगस्त 2016 से ही, संशोधित/बढ़ाए गए भत्ते प्राप्त करने के पात्र हैं.
केंद्र सरकार के वित विभाग के एक प्रमुख स्रोत से मिली सूचना के आधार पर ऐसा माना जा रहा है कि केंद्र सरकार, सातवां वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार भत्ते के लागू किए जाने में देरी होने के कारण अपने कर्मचारियों को क्षतिपूर्ति देने के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है.


केंद्रीय कर्मचारियो के कॉन्फ़ेडरेशन सीओसी कर्णाटका के महासचिव श्री पी एस प्रसाद ने यह भी कहा है क‍ि वित्त मंत्रालय को अंतिम रिपोर्ट सौपें जाने के बाद अगली कवायद में कम से कम 15 दिन का समय लग सकता है. अर्थात मामले में अभी कम-से-कम 1 महीने की देरी है.
लगता है कि सरकार मई या जून 2017 की गर्मियों में ही केंद्रीय कर्मचारियो को नये एचआरए और भत्तो की ठंढक दे सकेगी.

COMMENTS

WORDPRESS: 1
  • The Central Govt. has succumbed to the machination of the bureaucrats and rejected option No.1 in the Cabinet meeting held on 03.05.17. The alternative suggestion put forth by the official side amounts to the revival of the 5th CPC formula, which was once rejected by the same bureaucracy on the ground of high financial outflow. This has been done only because that option No.1 would not be beneficial for the All India Services Personnel and the organised Group A Services, who are not to suffer any stagnation at any point of time in their service. The option No.1 would have benefitted all others including those Group A personnel who do not belong to the above two categories.
    The mischievous machination was writ at large right from the day one, when the Pension department objected to the recommendation of the 7th CPC on pension fitment formula. We must remember that the Pension department and the Department of Expenditure together dragged lakhs of pensioners up to Supreme Court for getting the limited modified parity to be implemented. It would be in the fitness of things, that we remember that at no previous occasion, any Government has taken the decision to reject the recommendation of the Pay Commission in the case of pensioners. Even our reasonable suggestion that the alternate suggestion of the official side could be treated as option No. 3 was not palatable. Such an option would have benefitted all. Even some of the feared anomalies in case of option No.1 being implemented would have vanished had the suggestion of the official side is treated as Option No. 3.
    In every case, Government documents in one form or the other is available. Even according to the official side, the service books are available in the case of 82% of the pensioners. The rejection is not only untenable but also absolutely mischieviuous to deny the benefit to a section of pensioners, since those in power does not get a benefit out of this.

    The primary objective behind setting up of various committees was to delay decision and consequently the benefit for the C.G Officers, employees and pensioners.