CCS(Conduct Rules), 1964 के नियम (18) के अंतर्गत चल एवं अचल संपत्ति से सम्बंधित संव्यवहार की पूर्व मंजूरी/ सूचना

HomeRules

CCS(Conduct Rules), 1964 के नियम (18) के अंतर्गत चल एवं अचल संपत्ति से सम्बंधित संव्यवहार की पूर्व मंजूरी/ सूचना

CCS(Conduct Rules), 1964 के नियम (18) के अंतर्गत चल एवं अचल संपत्ति से सम्बंधित संव्यवहार की पूर्व मंजूरी/ सूचना

कार्यालय रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (द.प.क.) खातीपुरा रोड-जयपुर-12
Office of the Principal Controller of Defence Accounts
Khatipura Road, Jaipur-12

महत्वपूर्ण परिपत्र

सं. प्रशा/I/106

दिनांक: 25.11.2021

सेवा में,
समस्त अधिकारी/स्टाफ,
सभी स्थानीय अनुभाग
सभी अधीनस्थ कार्यालय

विषय: C.C.S.(Conduct Rules), 1964 के नियम (18) के अंतर्गत चल एवं अचल संपत्ति से सम्बंधित संव्यवहार की पूर्व मंजूरी/ सूचना।

C.C.S. (Conduct Rules), 1964 के नियम (18) के अनुसार, सभी केंद्रीय कर्मचारियों को चल/अचल संपत्ति से संबंधित संव्यवहार (transactions related to movable/immovable Property) को अपने कार्यलिय में सूचित करना/उसकी पूर्व मंजूरी लेना अनिवार्य है । इस संदर्भ में मुख्य कार्यालय द्वारा यह पाया गया है कि उक्त नियम का सभी अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा पूर्ण रूप से पालन नहीं किया जा रहा है। कई मामलो में संव्यवहार कि ना पूर्व में सूचना दी जाती है और ना ही पूर्व मंजूरी ली जाती है। हालांकि, कुछ संव्यवहारों की सूचना/मंजूरी हेतु आवेदन प्राप्त होते हैं परंतु उनमें भी कई खामियाँ व त्रुटियाँ पाई जाती हैं जो कि अनावश्यक पत्र-व्यवहार को बढ़ावा देती हैं और संपत्ति नोटिंग का कार्य निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण नहीं हो पाता है जिसके फलस्वरूप, विषयांतर्गत उल्लेखित नियमों की सार्थकता सिद्ध नहीं हो पा रही है।

2. अत: इसी क्रम में उक्त उल्लेखित नियम के सुचारु रूप से पालनार्थ निम्न दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं:

  1. WATER (Transaction) की सूचना या मंजूरी के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले आवेदन, नियमानुसार निर्धारित प्रारूप में होने चाहिए। अचल संपत्ति के लिए फॉर्म सं.1 (प्रतिलिपि संलग्‍न) एवं चल सम्पति के लिए फॉर्म सं.2 (प्रतिलिपि संलग्न)।
  2. अचल संपत्ति (Immovable property) के संबंध में, जब अधिकारी को किसी ऐसे व्यक्ति से संव्यवहार करना है जो कि उनसे किसी प्रकार के आधिकारिक व्यवहार (Official dealing) में हैं, तब संव्यवहार करने वाले अधिकारी द्वारा सक्षम प्राधिकारी को, ऐसे संव्यवहार की पूर्व में सूचना देना अथवा उनसे मंजूरी लेना अनिवार्य है।
  3. भूखंड/फ्लैट आदि कि बुकिंग करना भी, C.C.S. (Conduct Rules), 1964 के नियम (18) के अनुसार एक प्रकार का संव्यवहार ही है, अत: इसकी भी अधिकारी द्वारा पूर्व में ही मंजूरी ली जानी है/सूचना दी जानी है।
  4. चल संपत्ति (movable property) के संबंध में, संव्यवहार पूर्ण होने की तिथि के एक माह के भीतर ही अधिकारी/कर्मचारी द्वारा उसकी सूचना दी जानी है जबकि, अगर ऐसा संव्यवहार किसी आधिकारिक संबंध (Official dealing) रखने वाले व्यक्ति से हो रहा है तब उसकी कार्यालय में पूर्व सूचना देना / मंजूरी लेना अनिवार्य है।
  5. अधिकारी/कर्मचारी द्वारा संव्यवहार में लगने वाली धनराशि के स्रोत का स्‍पष्‍ट ब्यौरा देना अनिवार्य है।
  6. धन स्रोतों के समर्थन में निम्न सूचना/ दस्तावेज़ों को प्रस्तुत किया जा सकता है.
    1. बैंक ऋण के संबंध में: बैंक लोन के Sanction Letter की छायाप्रति जिसमें लोन की राशि एवं उसे वापस चुकाने के निबन्धन (terms of repayment) स्पष्‍टत: प्रकाशित हों।
    2. रिश्तेदार से ऋण के संबंध में: रिश्तेदार द्वारा लोन के संबंध में प्राप्त सहमति पत्र जिसमें यह स्पष्ट हो कि ऋण ब्याज सहित है या ब्याज मुक्त एवं उसमें ऋण को चुकाने के निबन्धन एवं रिश्तेदार (जिस से ऋण लिया गया है) की कमाई का स्रोत भी स्पष्ट होने चाहिए।
    3. Spouce/परिवार के सदस्य का योगदान: योगदानकर्ता के रोजगार आदि आवश्यक सूचनाओं का पूर्ण ब्यौरा।
    4. अन्य स्रोत: स्रोत से जुड़ा संबंधित ब्यौरा/दस्तावेज़।
  7. किसी भी स्थिति में गृह निर्माण हेतु GPF में से दूसरी बार पैसा निकालवान (withdrawal) अनुमेय (permissible) नहीं है। इसी क्रम में आवेदक (कर्मचारी/अधिकारी) द्वारा एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है जिसमें कि 677 को धन का एक स्रोत दर्शाया गया हो एवं यह भी स्पष्ट किया गया हो कि उन्होनें पूर्व में कभी भी मकान-निर्माण (प्लॉट या बने-बनाए फ्लैट की खरीद आदि) के लिए GPF से withdrawal सुविधा का उपयोग नहीं किया है। आवेदक के द्वारा प्रमाण पत्र में दिये गए कथन को संबंधित अधिकारी द्वारा उनके रिकॉर्ड जाँच के उपरांत ही सत्यापित कर अनुमोदित करना है। यह बिन्दु अधिकारियों द्वारा किसी भी आवेदन को अग्रेषित करते समय ध्यान में रखा जाना है।
  8. यदि किसी अधिकारी/कर्मचारी के spouse या घर के किसी अन्य संदस्य द्वारा उनकी निजी राशि (जिसमें स्त्रीधन, उपहार, विरासत आदि शामिल हैं) में से कोई लेनदेन किया जाता है, जिस पर की खुद अधिकारी/कर्मचारी का कोई अधिकार ना हो और न ही जो अधिकारी/कर्मचारी की निधि से किया गया हो तो ऐसा संव्‍यवहार CCS Conduct Rule 18 (2) और (3) के प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आएगा
  9. अगर कोई अधिकारी/कर्मचारी अपनी किसी अचल या चल संपत्ति (जो कि निर्धारित मौद्रिक सीमा से अधिक हो) को अपने घर के किसी अन्य सदस्य के नाम पर स्थानांतरित करता है तो उनके द्वारा Rule 18 (2) & (3) के प्रावधानों के अनुसार सक्षम अधिकारी को ऐसे संव्यवहार की सूचना देना या उनसे इसकी पूर्व में मंजूरी लेना अनिवार्य है।
  10. वाहनों की खरीद आदि के संबंध में Registration Certificate HR invoice और invoice की प्रतिलिपि संलग्न करना अनिवार्य है ।
  1. उक्त कथित बिंदुओं के भॉंति CCS (Conduct) Rules,1964 के अंतर्गत ली जाने वाली अन्य सभी आवश्यक अनुमतियों के लिए भी आवेदन निर्धारित प्रारूप में एवं संपूर्ण विवरण व उस से जुड़े सभी सहायक दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किए जाने है जिससे कि सभी मामलों की शीघ्र कार्यवाही की जा सके।
  2. उक्त नियमों के पालन हेतु अधिकारी/कर्मचारी का मूल विभाग ही उसका निर्धारित प्राधिकारी (prescribed authority) है इसीलिए अगर कोई अधिकारी/कर्मचारी किसी अन्य विभाग में प्रतिनियुक्ति (deputation) पर हैं या विदेश सेवा पर हैं तो उन्हे अपने संव्यवहारों की मंजूरी या सूचना हेतु आवेदन, borrowing department द्वारा अपने मूल विभाग को ही’अग्रेषित करवाना है।
  3. सभी अधिकारी/कर्मचारी उक्त नियमों के साथ-साथ खुद को ccs(Conduct) Rules 1964 के नियमों से भी अवगत करा लें। अधिकारियों/कर्मचारियों के द्वारा उक्त आचरण नियमों का उल्लंघन करने पर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की जा सकती है। अत: सभी अधिकारी/कर्मचारी नियमों की पालना व्यक्तिगत स्तर पर सुनिश्चित करें।

-हस्‍ता-
(मोहन लाल मीना, भा र ले से)
समूह अधिकारी (प्रशा)

intimation-and-seeking-approval-under-rule-18-of-ccsconduct-rules-1964

Source: Click here to view/download the PDF

COMMENTS

WORDPRESS: 0