Suggestion of Law Ministry on NPS राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली पर विधि और न्याय मंत्रालय के सुझाव

HomePensionnew pension scheme

Suggestion of Law Ministry on NPS राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली पर विधि और न्याय मंत्रालय के सुझाव

Suggestion of Law Ministry on NPS राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली पर विधि और न्याय मंत्रालय के सुझाव

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF LAW AND JUSTICE
DEPARTMENT OF LEGAL AFFAIRS

LOK SABHA
UNSTARRED QUESTION NO.507
TO BE ANSWERED ON FRIDAY, THE 4th FEBRUARY, 2022

SUGGESTION OF LAW MINISTRY ON NPS

307. SHRIDEEPAK BATJ:

Will the Minister of Law and Justice be pleased to state:

(a) Whether views of the Ministry of Law & Justice had been sought by DoP&PW for’ excluding those employees whose advertisements for recruitment were issued on or before 31/12/2003 from purview of National Pension Scheme (NPS) and to cover them under Old Pension Scheme in view of various judgements of Supreme Court and various High Courts;

(b) if so, the details of suggestions/comments offered by Ministry of Law & Justice along with the reasons for delay in furnishing the comments; and;

(c) the reasons for advising lame litigation in each case even after dismissal of SLPs and RPs at admission stage without conducting a hearing by Supreme Court, to tarnish pro-public image of Government?

ANSWER

MINISTER OF LAW AND JUSTICE
(SHRI KIREN RIJTJU)

(a) —(c): The Department of Pension and Pensioners’ Welfare made a reference dated 12.11.2021 to the Department of Legal Affairs inter alia seeking advice on the representations received from employees for their inclusion under Old Pension Scheme on the basis of the date of advertisement being on or before 31.12.2003 of the posts against which they were appointed.

In this regard, the Department of Legal Affairs vide note dated 24.11.2021 promptly advised that to abide by the directions issued by a judicial forum or challenge the directions before the higher judicial forum, in case the directions issued are against the policies of the Ministry/Department, lies at the sole discretion of the said Ministry/Department. In case an issue has attained finality in the Hon’ble Supreme Court then the Ministry/Department has to abide by the directions issued by the apex court, otherwise the Ministry/Department may have to face the consequences of contempt proceedings before the court.

Any further reference on the subject matter will be dealt promptly. Also, proposal to file SLP or Review Petition before the Hon’ble Supreme Court’ originate in the — concerned Department/Ministries which are accepted or rejected as per the considered opinion of the Ld. Law Officers.

According to the Department of Pension and Pensioners’ Welfare the National Pension System (NPS) was introduced for Central Government employees by a Notification of Ministry of Finance (Department of Economic Affairs) dated 22.12. 2003. NPS is mandatory for all new recruits to the Central Government service from 01.01. 2004 (except the armed force). In view of the specific provisions of the Notification dated 22.12.2003, the date of advertisement for the vacancies is not considered relevant for determining the eligibility for coverage under the Old Pension Scheme.

****

suggestion-of-law-ministry-on-nps

View: Suggestions/Comments for Coverage under Old Pension Scheme पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत कवरेज के लिए सुझाव/टिप्पणियां

भारत सरकार
विधि और न्याय मंत्रालय
विधि कार्य विभाग
लोक सभा

अतारांकित प्रश्न सं. 507
जिसका उत्तर शुक्रवार, 04 फरवरी, 2022 को दिया जाना है

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली पर विधि और न्याय मंत्रालय के सुझाव

507. श्री दीपक बैज :
क्या विधि और न्याय मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि :

(क) क्या पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीएंडपीडब्ल्यू) द्वारा उन कर्मचारियों, जिनकी भर्ती का विज्ञापन 31.12.2003 को या उससे पहले जारी किया गया था, को राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के दायरे से बाहर करने और उच्चतम न्यायालय तथा अलग-अलग उच्च न्यायालयों के विभिन्न निर्णयों के मद्देनजर उन्हें पुरानी पेंशन के दायरे में शामिल करने के लिए विधि और न्याय मंत्रालय का सुझाव मांगा गया था ;

(ख) यदि हां, तो विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा दिए गए सुझावों/टिप्पणियों सहित उक्त टिप्पणियों में विलंब करने के कारणों का ब्यौरा क्या है; और

(ग) उच्चतम न्यायालय द्वारा सरकार की जनकल्याणकारी छवि को धूमिल करने के लिए विशेष अनुमति याचिकाओं (एसएलपी) और पुनरीक्षण याचिका (आरपी) की दाखिले पर ही सुनवाई किए बिना खारिज करने के बाद प्रत्येक मामले में झूठी मुकदमेबाजी के कारणों का ब्यौरा क्या है ?

उत्तर

विधि और न्याय मंत्री
( श्री किरेन रीजीजू )

(क) से (ग) : पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने विधि कार्य विभाग को तारीख 12.11.2021 के प्रति एक निर्देश किया जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ कर्मचारियों से 31.12.2003 को या उससे पूर्व विज्ञापन की तारीख के आधार पर पुरानी पेंशन योजना के अधीन जोड़ने के लिए प्राप्त अभ्यावेदनों पर सलाह देने की मांग की है, जिन पदों पर उन्हें नियुक्त किया गया था।

इस संबंध में, विधि कार्य विभाग ने तारीख 24.11.2021 के टिप्पण द्वारा तत्परता से सलाह दी कि न्यायिक मंच द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें या उच्च न्यायिक मंच के समक्ष निर्देशों को चुनौती दें, यदि जारी किए गए निर्देश मंत्रालय/विभाग की नीतियों के विरुद्ध हैं, उक्त मंत्रालय/विभाग के पूर्ण विवेक पर निर्भर करता है। यदि कोई मुद्दा माननीय उच्चतम न्यायालय में अंतिम रूप ले चुका है तो मंत्रालय/विभाग को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का पालन करना होगा, अन्यथा मंत्रालय/विभाग को न्यायालय के समक्ष अवमानना कार्यवाही के परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।

विषय पर आगे किसी भी निर्देश पर तत्परता से कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष एसएलपी या पुनर्विलोकन याचिका फाइल करने का प्रस्ताव संबंधित विभाग/मंत्रालयों में उत्पन्न होता है जिसे विद्वान विधि अधिकारी की सुविचारित राय के अनुसार स्वीकार या अस्वीकार कर दिया जाता है।

पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के अनुसार वित्त मंत्रालय (आर्थिक मामले विभाग) की तारीख 22.12.2003 की अधिसूचना द्वारा केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) प्रस्तुत की गई। एनपीएस 01.01.2004 (सशस्त्र बल को छोड़कर) से केंद्रीय सरकार सेवा में सभी नई भर्तियों के लिए आज्ञापक है। तारीख 22.12.2003 अधिसूचना के विनिर्दिष्ट उपबंधों को ध्यान में रखते हुए, पुरानी पेंशन योजना के अधीन कवरेज के लिए पात्रता अवधारित करने के लिए रिक्तियों के विज्ञापन की तारीख को सुसंगत नहीं माना जाता है।

***

Source: Lok Sabha PDF

COMMENTS

WORDPRESS: 0