केन्द्रीय कर्मचारियों एवं पेंशनरों के लिए महंगाई भत्ता और महंगाई राहत के 18 महीने के बकाये के भुगतान की संभावना

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केन्द्रीय कर्मचारियों एवं पेंशनरों के लिए महंगाई भत्ता और महंगाई राहत के 18 महीने के बकाये के भुगतान की संभावना

केन्द्रीय कर्मचारियों एवं पेंशनरों के लिए महंगाई भत्ता और महंगाई राहत के 18 महीने के बकाये के भुगतान की संभावना

कोविड महामारी के दौरान रोके गये केन्द्रीय कर्मचारियों एवं पेंशनरों के लिए महंगाई भत्ता और महंगाई राहत 18 महीने के बकाया के भुगतान की संभावना बन रही है।  मीडिया सूत्रों के अनुसार केन्द्र सरकार शीघ्र ही इसपर सकारात्मक निर्णय ले सकती है।  दूसरी ओर कर्मचारियों की ओर से भी दबाव बनाया जा रहा है। 18 अगस्‍त को नेशनल काउंसिल के स्‍टाफ साईड के सचिव श्री शिव गोपाल मिश्रा ने कैबिनेट सचिव और नेशनल काउंसिल के अध्‍यक्ष को एक पत्र भेजा है।  पत्र की प्रति StaffNews.in पर उपलब्ध है।  पत्र में 1 जनवरी 2020, 1 जुलाई 2020 एवं 1 जनवरी 2021 से महंगाई भत्ता और महंगाई राहत के भुगतान की मांग की गयी है।  पत्र में यह भी कहा गया है कि इस संबंध में सरकार से विस्तृत चर्चा की गयी है। पत्र में यह भी कहा गया है कि सचिव और नेशनल काउंसिल के सदस्‍य बकाये के भुगतान के तौर-तरीकों पर चर्चा के लिए तैयार हैं।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख

शिव गोपाल मिश्रा ने कैबिनेट सचिव को लिखे अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 08 फरवरी 2021 के निर्णय का संदर्भ दिया है।  देश की सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा था  कि आर्थिक संकट के कारण कर्मचारियों के वेतन एवं पेंशन को तात्कालिक रूप रोका जा सकता है, परन्‍तु स्थिति में सुधार होने पर इसे कर्मचारियों को वापस देना होगा। यह कार्मिकों का अधिकार है।  उन्हें कानून के अनुसार भुगतान किया जाना चाहिए। शिव गोपाल मिश्रा के अनुसार, केंद्र सरकार इस बात से अवगत है कि सेना, रेलवे, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, कृषि और अन्य मंत्रालयों के तहत काम करने वाले कर्मियों ने कोरोना काल में निस्वार्थ भाव से अपने दायित्‍वों का निर्वहन किया है। कोरोना काल में, साल 2020 की शुरुआत में केंद्र ने एक झटके के साथ ऐलान किया था कि सरकारी कर्मचारियों को डीए, डीआर और इससे जुड़े भत्‍तों में बढ़ोतरी नहीं होगी. उसके बाद भी कार्मिकों ने सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर काम किया.

डीए/डीआर की बढ़ोतरी में रोक से कोरोना काल में सेवानिवृत्त या मारे गए कर्मियों को हुआ नुकसान

कोरोना काल में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ता न मिलने और महंगाई राहत के कारण कई तरह की आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस दौरान कई केन्‍द्रीय कर्मचारी भी सेवानिवृत्त हुए। कुछ कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की भी मौत हो गई। डीए व डीआर नहीं मिलने से उन्हें काफी नुकसान हुआ है। 1 जनवरी, 2020 से 30 जून, 2021 के बीच सेवानिवृत्त हुए ऐसे कर्मचारियों की ग्रेच्युटी और अन्य भुगतानों की भरपाई करना आवश्‍यक है। उन कर्मचारियों की कोई गलती नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्हें निर्धारित आर्थिक लाभ से वंचित रखा गया है। जेसीएम सदस्य सी. श्री कुमार कहते हैं, केंद्र सरकार ने कोविड-19 की आड़ में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के डीए-डीआर पर रोक लगा दी थी. सभी कर्मियों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। इन कर्मचारियों ने एक दिन का वेतन पीएम केयर फंड में जमा कराया था। सरकार ने तब श्रमिकों को 11 प्रतिशत डीए का भुगतान रोककर 40,000 करोड़ रुपये की बचत की थी।

डीए ‘बकाया’ का एकमुश्‍त भुगतान करने की सलाह

कर्मचारी संघों ने 18 महीने से लंबित केंद्रीय कर्मचारियों के डीए के एरियर के भुगतान को लेकर केंद्र सरकार को कई विकल्प सुझाए थे. इनमें बकाया का एकमुश्त भुगतान भी शामिल था। इतना ही नहीं कर्मचारी पक्ष के सचिव शिव गोपाल मिश्रा व अन्य सदस्यों ने भी सरकार को बकाया की समस्या के बारे में बताया था कि अगर वह किसी अन्य तरीके की चर्चा करना चाहती है तो उसके लिए भी कर्मचारी संगठन तैयार हैं. इंडियन पेंशनर्स फोरम ने प्रधानमंत्री मोदी से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ता और महंगाई राहत का बकाया भुगतान करने की अपील की थी. फोरम ने पीएम को लिखे पत्र में इस मामले को जल्द से जल्द निपटाने का आग्रह किया था। उसके बाद भी केंद्र ने इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया है। यदि केंद्र सरकार द्वारा बकाया दिया जाता है, तो इसका सीधा लाभ मौजूदा 48 लाख कर्मचारियों और 64 लाख पेंशनभोगियों तक पहुंच जाएगा।

Alert: Dearness Allowance @ 38% w.e.f. 01.07.2022 – Fake Order as Ministry of Finance has not issued any such Office Memorandum : PIB Fact Check Report

कोरोना काल के बाद यह घोषणा सरकार की ओर से की गई थी।

केंद्र सरकार ने जब कोरोना काल के बाद डीए देने की घोषणा की थी तो उसने कहा था कि 1 जनवरी 2020 से 30 जून 2021 तक ‘डीए’ और ‘डीआर’ की दर 17 फीसदी ही मानी जाएगी. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था, अब 28 फीसदी की दर से महंगाई भत्ता मिलेगा. उस समय उन्होंने बकाया के बारे में कुछ नहीं कहा। केंद्रीय मंत्री के इस ऐलान का मतलब था कि 1 जुलाई 2021 से बढ़े हुए DA की दर 28 फीसदी मानी जाए. इसके मुताबिक जून 2021 से जुलाई 2021 के बीच DA में अचानक 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. जबकि डेढ़ साल की अवधि में डीए दरों में कोई वृद्धि दर्ज नहीं की गई। 1 जनवरी 2020 से 1 जुलाई 2021 तक डीए/डीआर पर रोक लगा दी गई थी। बकाया का यह मुद्दा कर्मचारी संघों के प्रतिनिधियों ने जेसीएम की बैठक में भी उठाया था। कर्मचारी पक्ष की ओर से केंद्र सरकार से कहा गया कि वह श्रमिकों का बकाया अविलंब भुगतान करें.

इस साल मार्च में ‘डीए’ की दर में बढ़ोतरी हुई थी जोकि 1 जनवरी से लागू की गयी

इस साल केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के ‘महंगाई भत्ते’ यानी उनके डीए में तीन फीसदी की बढ़ोतरी को मंजूरी दी थी. इस वृद्धि का लाभ 48 लाख कर्मचारियों और 64 लाख पेंशनभोगियों तक पहुंच गया था। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में डीए बढ़ाने की फाइल को मंजूरी मिलने के बाद डीए को 31 फीसदी से बढ़ाकर 34 फीसदी कर दिया गया. बढ़ी हुई डीए दरें 1 जनवरी से लागू हुई थीं। केंद्र ने कहा था कि डीए दरों के लागू होने के बाद हर साल सरकारी खजाने पर 9540 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। जब भी केंद्र सरकार द्वारा मौजूदा कर्मचारियों का डीए बढ़ाया जाता है, उसी समय पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत ‘डीआर’ में भी वृद्धि होती है। इस साल जुलाई में डीए की दर बढ़ाई जानी थी, लेकिन अभी तक सरकार ने कोई घोषणा नहीं की है. कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार की ओर से डीए की दर बढ़ाने और 18 माह का बकाया जारी करने में जानबूझकर देरी की जा रही है. अगर सरकार जल्द ही इस संबंध में कोई फैसला नहीं लेती है तो विभिन्न कर्मचारी संगठन दिल्ली में हंगामा करेंगे।

देखें – Payment of Dearness Allowance/Dearness Relief w.e.f. 01.01.2020, 01.07.2020 and 01.01.2021 with the arrears: Staff Side is ready to discuss about the mode of arrears payment

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