Doctor-Patient Ratio in the Country is 1:834 which is better than the WHO standard of 1:1000 देश में चिकित्सक-मरीज अनुपात डब्ल्यूएचओ के  मानक से बेहतर है

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Doctor-Patient Ratio in the Country is 1:834 which is better than the WHO standard of 1:1000 देश में चिकित्सक-मरीज अनुपात डब्ल्यूएचओ के  मानक से बेहतर है

Doctor-Patient Ratio in the Country is 1:834 which is better than the WHO standard of 1:1000 देश में चिकित्सक-मरीज अनुपात डब्ल्यूएचओ के  मानक से बेहतर है

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF HEALTH AND FAMILY WELFARE
DEPARTMENT OF HEALTH AND FAMILY WELFARE
RAJYA SABHA
UNSTARRED QUESTION NO. 1039
TO BE ANSWERED ON 26th JULY, 2022

DOCTOR-PATIENT RATIO IN THE COUNTRY

1039 SHRI SUSHIL KUMAR GUPTA:
Will the Minister of Health and Family Welfare be pleased to state:

(a) whether it is a fact that doctor-patient ratio in the country 1s widening;

(b) whether it is also a fact that shortage of doctors and trained paramedical staff impede the reach of health services; and

(c) the measures that are being taken to bridge the gap?

ANSWER

THE MINISTER OF STATE IN THE MINISTRY OF HEALTH AND FAMILY WELFARE (DR. BHARATI PRAVIN PAWAR)

(a) to (c): As per information provided by National Medical Commission (NMC), there are 13,08,009 allopathic doctors registered with the State Medical Councils and the National Medical Commission (NMC) as on June, 2022. Assuming 80% availability of registered allopathic doctors and 5.65 lakh AYUSH doctors, the doctor-population ratio in the country is 1:834 which is better than the WHO standard of 1:1000. Also, there are 34.33 lakh registered nursing personnel and 13 lakh Allied and Healthcare Professionals in the country.

For the rapid growth of the allied health sector in the country, the Government has enacted National Commission for Allied and Healthcare Professions (NCAHP) Act, 2021 and an Interim Commission has been notified under the provisions of NCAHP Act, 2021.

The Government has taken following steps to further increase the availability of doctors in the country. The number of UG seats have increased from 51,348 before 2014 to 91927 seats as of date which is an increase of 79%. The numbers of PG seats have increased by 93% from 31,185 seats before 2014 to 60202 seats.

The steps to increase doctor-patients ratio include:-

  1. Centrally Sponsored Scheme for establishment of new medical college by upgrading
    district/ referral hospital under which 157 new medical colleges have been approved and 72 are already functional.
  2. Centrally Sponsored Scheme for strengthening/ upgradation of existing State Government/Central Government Medical Colleges to increase MBBS and PG seats.
  3. Central Sector Scheme for upgradation of Government Medical Colleges by construction of Super Specialty Blocks. A total of 75 projects have been approved and 58 have been completed.
  4. Under Central Sector Scheme for setting up of new AIIMS, 22 AIIMS have been approved. Undergraduate courses have started in 19 AIIMS.
  5. Relaxation in the norms for setting up of Medical College in terms of requirement for faculty, staff, bed strength and other infrastructure.
  6. DNB qualification has been recognized for appointment as faculty to take care of shortage of faculty.
  7. Enhancement of age limit for appointment/ extension/ re-employment against posts of teachers/dean/principal/ director in medical colleges upto 70 years.
  8. The tenure of Senior Residency for appointment of Assistant Professor have reduced from three year to one year.
  9. Under the District Residency Programme (DRP), all the doctors admitted to PG courses from 2022 onwards, will have to serve in the district hospitals for three months mandatorily.

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भारत सरकार
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग
राज्य सभा
अतारांकित प्रश्न संख्या: 1039
26 जुलाई, 2022 को पूछे जाने वाले प्रश्न का उत्तर

देश में चिकित्सक-मरीज अनुपात

1039 श्री सुशील कुमार गुप्ता:

क्या स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(क) क्या यह सच है कि देश में चिकित्सकों और मरीजों का अनुपात बढ़ रहा है;

(ख) कया यह भी सच है कि चिकित्सकों और प्रशिक्षित पराचिकित्सीय स्टॉफ की कमी से स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बाधित होती है; और

(ग) इस अंतर को पाटने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

उत्तर

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री (डॉ. भारती प्रविण पवार)

(क) से (ग): राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, जून, 2022 तक राज्य चिकित्सा परिषदों और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) में 13,08,009 एलोपैथिक डॉक्टर पंजीकृत हैं। पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टरों की 80% उपलब्धता और 5.65 लाख आयुष डॉक्टरों को ध्यान में रखते हुए, देश में डॉक्टर- जनसंख्या अनुपात 1:834 है, जो डब्ल्यूएचओ के 1:1000 के मानक से बेहतर है। साथ ही, देश में 34.33 लाख पंजीकृत नर्सिंग कर्मी और 13 लाख संबद्ध और स्वास्थ्य परिचर्या पेशेवर हैं।

देश में संबद्ध मेडिकल सीटों की संख्या में तेजी से वृद्धि करने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग (एनसीएएचपी) अधिनियम, 2021 को अधिनियमित किया है तथा एनसीएएचपी अधिनियम, 2021 के प्रावधानों के तहत एक अंतरिम आयोग अधिसूचित किया गया है।

सरकार ने देश में डॉक्टरों की उपलब्धता को और बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं। यूजी सीटों की संख्या जो 2014 से पहले 51,348 थी, अब बढ़कर 91927 हो गई है जो 79% की वृद्धि है। पीजी सीटों की संख्या जो 2014 से पहले 31,185 थी, अब 93 % बढ़कर 60202 हो गई है।

डॉक्टर-रोगी अनुपात बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों में शामिल हैं:-

  1. जिला/ रेफरल अस्पतालों को उन्नत करते हुए नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए केंद्रीय प्रायोजित योजना जिसके तहत 157 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए हैं तथा 72 पहले से क्रियाशील हैं।
  2. एमबीबीएस और पीजी सीटों में वृद्धि करने के लिए मौजूदा राज्य सरकारी/ केंद्रीय सरकारी मेडिकल कॉलेजों को सुदृढ़ बनाने/उन्नत करने के लिए केंद्रीय प्रायोजित योजना।
  3. सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉकों के निर्माण द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों के उन्नयन के लिए केंद्रीय क्षेत्र की स्कीम। कुल 75 परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं तथा 58 परियोजनाएं पूरी की गई हैं।
  4. नए एम्स की स्थापना संबंधी केंद्रीय क्षेत्र की स्कीम के तहत, 22 एम्स अनुमोदित किए गए हैं। 19 एम्स में स्नातक पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं।
  5. संकाय, कर्मचारियों, बिस्तरों की संखया और अन्य अवसंरचनाओं की आवश्यकता के संबंध में मेडिकल कॉलेजों की स्थापना हेतु मानदंडों में छूट देना।
  6. संकाय की कमी को पूरा करने के लिए संकाय के रूप में नियुक्ति के लिए डीएनबी योग्यता को मान्यता दी गई है।
  7. मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों। डीन/ प्रधानाचार्य/ निदेशक के पदों पर नियुक्ति/ विस्तार/ पुनःरोजगार के लिए आयु सीमा को 70 वर्ष तक बढ़ाना।
  8. असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए सीनियर रेजिडेंसी का कार्यकाल तीन साल से घटाकर एक साल कर दिया गया है।
  9. जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम (डीआरपी) के तहत, 2022 से पीजी कोर्स में भर्ती सभी डॉक्टरों को तीन महीने तक जिला अस्पतालों में अनिवार्य रूप से सेवा देनी होगी।

Source: Lok Sabha PDF

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